उपसर्ग
Upsarg उपसर्ग उस शब्दांश या अव्यय को कहते है, जो किसी शब्द के पहले आकर उसका विशेष अर्थ प्रकट करता है। संस्कृत एवं संस्कृत से उत्पन्न भाषाओं में उस अव्यय या शब्द को उपसर्ग (prefix) कहते हैं जो कुछ शब्दों के आरंभ में लगकर उनके अर्थों का विस्तार करता अथवा उनमें कोई विशेषता उत्पन्न करता है।
उपसर्ग = उपसृज् (त्याग) + घञ्। जैसे – अ, अनु, अप, वि, आदि उपसर्ग है। परंतु इसी शब्द के आगे ‘प्र’ शब्दांश को जोड़ने से नया शब्द बनेगा – ‘प्रहार’ (प्र + हार) जिसका अर्थ है चोट करना। इसी तरह ‘आ’ जोड़ने से आहार (भोजन), ‘सम्’ जोड़ने से संहार (विनाश) तथा ‘वि’ जोड़ने से ‘विहार’ (घूमना) इत्यादि शब्द बन जाएँगे। उपर्युक्त उदाहरण में ‘प्र’, ‘आ’, ‘सम्’ और ‘वि’ का अलग से कोई अर्थ नहीं है, ‘हार’ शब्द के आदि में जुड़ने से उसके अर्थ में इन्होंने परिवर्तन कर दिया है। इसका मतलब हुआ कि ये सभी शब्दांश हैं और ऐसे शब्दांशों को उपसर्ग कहते हैं। हिन्दी में प्रचलित उपसर्गों को निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है
उपसर्ग की परिभाषा
दूसरे शब्दों में– ”उपसर्ग वह शब्दांश या अव्यय है, जो किसी शब्द के आरंभ में जुड़कर उसके अर्थ में (मूल शब्द के अर्थ में) विशेषता ला दे या उसका अर्थ ही बदल दे।” वे उपसर्ग कहलाते है।
जैसे- प्रसिद्ध, अभिमान, विनाश, उपकार।
इनमे कमशः ‘प्र’, ‘अभि’, ‘वि’ और ‘उप’ उपसर्ग है।
यह दो शब्दों (उप+ सर्ग) के योग से बनता है। ‘उप’ का अर्थ ‘समीप’, ‘निकट’ या ‘पास में’ है। ‘सर्ग’ का अर्थ है सृष्टि करना। ‘उपसर्ग’ का अर्थ है पास में बैठाकर दूसरा नया अर्थवाला शब्द बनाना। ‘हार’ के पहले ‘प्र’ उपसर्ग लगा दिया गया, तो एक नया शब्द ‘प्रहार’ बन गया, जिसका नया अर्थ हुआ ‘मारना’ । उपसर्गो का स्वतन्त्र अस्तित्व न होते हुए भी वे अन्य शब्दों के साथ मिलाकर उनके एक विशेष अर्थ का बोध कराते हैं।
उपसर्ग शब्द के पहले आते है। जैसे- ‘अन’ उपसर्ग ‘बन’ शब्द के पहले रख देने से एक शब्द ‘अनबन ‘बनता है, जिसका विशेष अर्थ ‘मनमुटाव’ है। कुछ उपसर्गो के योग से शब्दों के मूल अर्थ में परिवर्तन नहीं होता, बल्कि तेजी आती है। जैसे- ‘भ्रमण’ शब्द के पहले ‘परि’ उपसर्ग लगाने से अर्थ में अन्तर न होकर तेजी आयी। कभी-कभी उपसर्ग के प्रयोग से शब्द का बिलकुल उल्टा अर्थ निकलता है।
उपसर्ग की विशेषता
उपसर्ग की तीन गतियाँ या विशेषताएँ होती हैं-
(1) शब्द के अर्थ में नई विशेषता लाना।
जैसे- प्र + बल= प्रबल
अनु + शासन= अनुशासन
(2) शब्द के अर्थ को उलट देना।
जैसे- अ + सत्य= असत्य
अप + यश= अपयश
(3) शब्द के अर्थ में, कोई खास परिवर्तन न करके मूलार्थ के इर्द-गिर्द अर्थ प्रदान करना।
जैसे- वि + शुद्ध= विशुद्ध
परि + भ्रमण= परिभ्रमण
उपसर्ग की संख्या
हिंदी में प्रचलित उपसर्गो को निम्नलिखित भागो में विभाजित किया जा सकता है-
(1) संस्कृत के उपसर्ग
(2) हिंदी के उपसर्ग
(3) उर्दू के उपसर्ग
(4) अंग्रेजी के उपसर्ग
(5) उपसर्गवत् अव्यय, संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण
(1) संस्कृत के उपसर्ग
उपसर्ग | अर्थ | उपसर्ग से बने शब्द |
---|---|---|
अति | अधिक, ऊपर, उस पार | अतिकाल, अत्याचार, अतिकर्मण, अतिरिक्त, अतिशय, अत्यन्त, अत्युक्ति, अतिक्रमण, इत्यादि । |
अधि | ऊपर, श्रेष्ठ | अधिकरण, अधिकार, अधिराज, अध्यात्म, अध्यक्ष, अधिपति इत्यादि। |
अप | बुरा, अभाव, हीनता, विरुद्ध | अपकार, अपमान, अपशब्द, अपराध, अपहरण, अपकीर्ति, अपप्रयोग, अपव्यय, अपवाद इत्यादि। |
अ | अभाव | अज्ञान, अधर्म, अस्वीकार इत्यादि। |
अनु | पीछे, समानता, क्रम, पश्र्चात | अनुशासन, अनुज, अनुपात, अनुवाद, अनुचर, अनुकरण, अनुरूप, अनुस्वार, अनुशीलन इत्यादि। |
आ | ओर, सीमा, समेत, कमी, विपरीत | आकाश, आदान, आजीवन, आगमन, आरम्भ, आचरण, आमुख, आकर्षण, आरोहण इत्यादि। |
अव | हीनता, अनादर, पतन | अवगत, अवलोकन, अवनत, अवस्था, अवसान, अवज्ञा, अवरोहण, अवतार, अवनति, अवशेष, इत्यादि। |
उप | निकटता, सदृश, गौण, सहायक, हीनता | उपकार, उपकूल, उपनिवेश, उपदेश, उपस्थिति, उपवन, उपनाम, उपासना, उपभेद इत्यादि। |
नि | भीतर, नीचे, अतिरिक्त | निदर्शन, निपात, नियुक्त, निवास, निरूपण, निवारण, निम्र, निषेध, निरोध, निदान, निबन्ध इत्यादि। |
निर् | बाहर, निषेध, रहित | निर्वास, निराकरण, निर्भय, निरपराध, निर्वाह, निर्दोष, निर्जीव, निरोग, निर्मल इत्यादि। |
परा | उलटा, अनादर, नाश | पराजय, पराक्रम, पराभव, परामर्श, पराभूत इत्यादि। |
परि | आसपास, चारों ओर, पूर्ण | परिक्रमा, परिजन, परिणाम, परिधि, परिपूर्ण इत्यादि। |
प्र | अधिक, आगे, ऊपर, यश | प्रकाश, प्रख्यात, प्रचार, प्रबल, प्रभु, प्रयोग, प्रगति, प्रसार, प्रयास इत्यादि। |
प्रति | विरोध, बराबरी, प्रत्येक, परिवर्तन | प्रतिक्षण, प्रतिनिधि, प्रतिकार, प्रत्येक, प्रतिदान, प्रतिकूल, प्रत्यक्ष इत्यादि। |
वि | भित्रता, हीनता, असमानता, विशेषता | विकास, विज्ञान, विदेश, विधवा, विवाद, विशेष, विस्मरण, विराम, वियोग, विभाग, विकार, विमुख, विनय, विनाश इत्यादि। |
सम् | पूर्णता, संयोग | संकल्प, संग्रह, सन्तोष, संन्यास, संयोग, संस्कार, संरक्षण, संहार, सम्मेलन, संस्कृत, सम्मुख, संग्राम इत्यादि। |
सु | सुखी, अच्छा भाव, सहज, सुन्दर | सुकृत, सुगम, सुलभ, सुदूर, स्वागत, सुयश, सुभाषित, सुवास, सुजन इत्यादि। |
अध | आधे के अर्थ में | अधजला, अधपका, अधखिला, अधमरा, अधसेरा इत्यादि। |
अ-अन | निषेध के अर्थ में | अमोल, अपढ़, अजान, अथाह, अलग, अनमोल, अनजान इत्यादि। |
उन | एक कम | उत्रीस, उनतीस, उनचास, उनसठ, उनहत्तर इत्यादि। |
औ | हीनता, निषेध | औगुन, औघट, औसर, औढर इत्यादि। |
दु | बुरा, हीन | दुकाल, दुबला इत्यादि। |
नि | निषेध, अभाव, विशेष | निकम्मा, निखरा, निडर, निहत्था, निगोड़ा इत्यादि। |
बिन | निषेध | बिनजाना, बिनब्याहा, बिनबोया, बिनदेखा, बिनखाया, बिनचखा, बिनकाम इत्यादि। |
भर | पूरा, ठीक | भरपेट, भरसक, भरपूर, भरदिन इत्यादि। |
कु-क | बुराई, हीनता | कुखेत, कुपात्र, कुकाठ, कपूत, कुढंग इत्यादि। |
(2)हिंदी के उपसर्ग
उपसर्ग | अर्थ | उपसर्ग से बने शब्द |
---|---|---|
अन | निषेध अर्थ में | अनमोल, अलग, अनजान, अनकहा, अनदेखा इत्यादि। |
अध् | आधे अर्थ में | अधजला, अधखिला, अधपका, अधकचरा, अधकच्चा, अधमरा इत्यादि। |
उन | एक कम | उनतीस, उनचास, उनसठ, इत्यादि। |
भर | पूरा ,ठीक | भरपेट, भरपूर, भरदिन इत्यादि। |
दु | बुरा, हीन, विशेष | दुबला, दुर्जन, दुर्बल, दुकाल इत्यादि। |
नि | आभाव, विशेष | निगोड़ा, निडर, निकम्मा इत्यादि। |
अ | अभाव, निषेध | अछूता, अथाह, अटल |
क | बुरा, हीन | कपूत, कचोट |
कु | बुरा | कुचाल, कुचैला, कुचक्र |
अव | हीन, निषेध | औगुन, औघर, औसर, औसान |
भर | पूरा | भरपेट, भरपूर, भरसक, भरमार |
सु | अच्छा | सुडौल, सुजान, सुघड़, सुफल |
पर | दूसरा, बाद का | परलोक, परोपकार, परसर्ग, परहित |
बिन | बिना, निषेध | बिनब्याहा, बिनबादल, बिनपाए, बिनजाने |
(3)उर्दू के उपसर्ग
उपसर्ग | अर्थ | उपसर्ग से बने शब्द |
---|---|---|
ला | बिना | लाचार, लाजवाब, लापरवाह, लापता इत्यादि। |
बद | बुरा | बदसूरत, बदनाम, बददिमाग, बदमाश, बदकिस्मत इत्यादि। |
बे | बिना | बेकाम, बेअसर, बेरहम, बेईमान, बेरहम इत्यादि। |
कम | थोड़ा, हीन | कमसिन, कामखयाल, कमज़ोर, कमदिमाग, कमजात, इत्यादि। |
ग़ैर | के बिना, निषेध | गैरकानूनी, गैरजरूरी, ग़ैर हाज़िर, गैर सरकारी, इत्यादि। |
खुश | श्रेष्ठता के अर्थ में | खुशनुमा, खुशगवार, खुशमिज़ाज, खुशबू, खुशदिल, खुशहाल इत्यादि। |
ना | अभाव | नाराज, नालायक, नादनामुमकिन, नादान, नापसन्द, नादान इत्यादि। |
अल | निश्र्चित | अलबत्ता, अलगरज आदि। |
बर | ऊपर, पर, बाहर | बरखास्त, बरदाश्त, बरवक्त इत्यादि। |
बिल | के साथ | बिलआखिर, बिलकुल, बिलवजह |
हम | बराबर, समान | हमउम्र, हमदर्दी, हमपेशा इत्यादि। |
दर | में | दरअसल, दरहक़ीक़त |
फिल/फी | में प्रति | फिलहाल, फीआदमी |
ब | और, अनुसार | बनाम, बदौलत, बदस्तूर, बगैर |
बा | सहित | बाकायदा, बाइज्जत, बाअदब, बामौक़ा |
सर | मुख्य | सरताज, सरदार, सरपंच, सरकार |
बिला | बिना | बिलावजह, बिलाशक |
हर | प्रत्येक | हरदिन हरसाल हरएक हरबार |
(4) अंग्रेजी के उपसर्ग
उपसर्ग | अर्थ | उपसर्ग से बने शब्द |
---|---|---|
सब | अधीन, नीचे | सब-जज, सब-कमेटी, सब-इंस्पेक्टर |
डिप्टी | सहायक | डिप्टी-कलेक्टर, डिप्टी-रजिस्ट्रार, डिप्टी-मिनिस्टर |
वाइस | सहायक | वाइसराय, वाइस-चांसलर, वाइस-पप्रेसीडेंट |
जनरल | प्रधान | जनरल मैनेजर, जनरल सेक्रेटरी |
चीफ | प्रमुख | चीफ-मिनिस्टर, चीफ-इंजीनियर, चीफ-सेक्रेटरी |
हेड | मुख्य | हेडमास्टर, हेड क्लर्क |
(5) उपसर्गवत् अव्यय, संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण
उपसर्ग | अर्थ | उपसर्ग से बने शब्द |
---|---|---|
अधः | नीचे | अधःपतन, अधोगति, अधोमुखी, अधोलिखित |
अंतः | भीतरी | अंतःकरण, अंतःपुर, अंतर्मन, अंतर्देशीय |
अ | अभाव | अशोक, अकाल, अनीति, अधर्म, अज्ञान, अनीति |
चिर | बहुत देर | चिरंजीवी, चिरकुमार, चिरकाल, चिरायु |
पुनर | फिर | पुनर्जन्म, पुनर्लेखन, पुनर्जीवन, पुननिर्माण, पुनरागमन |
बहिर | बाहर | बहिर्गमन, बहिर्जगत, बहिष्कार, बहिर्द्वार |
सत | सच्चा | सज्जन, सत्कर्म, सदाचार, सत्कार्य |
पुरा | पुरातन | पुरातत्व, पुरावृत्त |
सम | समान | समकालीन, समदर्शी, समकोण, समकालिक |
सह | साथ | सहकार, सहपाठी, सहयोगी, सहचर |
अन | अभाव/निषेध | अनर्थ, अनंत |
अन्तर | भीतर | अन्तर्नाद, अन्तर्राष्ट्रीय |
का/कु | बुरा | कापुरुष, कुपुत्र |
न | अभाव | नगण्य, नपुंसक |
पुरा | पहले | पुरातन, पुरातत्त्व |
स | सहित | सपरिवार, सदेह, सचेत |
अलम् | शोभा, बेकार | अलंकार |
आविस | प्रकट/बाहर होना | आविष्कार, आविर्भाव |
तिरस् | तिरछा, टेढ़ा, अदृश्य | तिरस्कार, तिरोभाव |
पुरस् | सामने | पुरस्कार |
प्रादुर् | प्रकट होना, सामने आना | प्रादुर्भाव, प्रादुर्भूत |
दो उपसर्गो से निर्मित शब्द
निर् + आ + करण = निराकरण
प्रति + उप + कार = प्रत्युपकार
सु + सम् + कृत = सुसंस्कृत
अन् + आ + हार = अनाहार
सम् + आ + चार = समाचार
अन् + आ + सक्ति = अनासक्ति
अ + सु + रक्षित = असुरक्षित
सम् + आ + लोचना= समालोचना
सु + सम् + गठित = सुसंगठित
अ + नि + यंत्रित = अनियंत्रित
अति + आ + चार = अत्याचार
अ + प्रति + अक्ष = अप्रत्यक्ष
स्रोत- hindigrammer.in, hindisarang.in, wehindi.com, omnibushas