सेवा में,
श्री नरेन्द्र मोदी जी
माननीय प्रधान मंत्री,
भारत सरकार

विषय : भोजपुरी या हिन्दी की किसी भी अन्य बोली को संविधान की #आठवीं_अनुसूची में
शामिल न किया जाय.

10sep39U





महोदय,

हमारी हिन्दी आज टूटने के कगार पर है. निजी स्वार्थ के लिए कुछ लोगों ने भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की माँग तेज कर दी है. भोजपुरी के कलाकार और दिल्ली से भाजपा के सांसद श्री मनोज तिवारी ने संसद और उसके बाहर भी यह माँग दुहराई है. जन भोजपुरी मंच नामक संगठन ने अपनी माँग के पक्ष में जिन 9 आधारों का उल्लेख किया है उनमें से सभी आधार तथ्यात्मक दृष्टि से अपुष्टअतार्किक और भ्रामक हैं. हिन्दी बचाओ मंच ने उनकी व्यापक छानबीन की है और उन सभी आधारों पर क्रमश: अपना पक्ष प्रस्तुत करता है.

1. भाषा विज्ञान की दृष्टि से भोजपुरी भी उतनी ही पुरानी है जितनी ब्रजीअवधीबुन्देलीछत्तीसगढ़ीहरियाणवीकुमायूंनी- गढ़वालीमगहीअंगिका आदि हिन्दी की अन्य बोलियाँ. क्या उन सबको आठवीं अनुसूची में शामिल किया जाना संभव है?

2. भोजपुरी भाषियों की संख्या 20 करोड़ बताई गई है. यह कथन मिथ्या है. हिन्दी समाज की प्रकृति द्विभाषिकता की है. हम लोग एक साथ अपनी जनपदीय भाषा भोजपुरीअवधीब्रजी आदि भी बोलते हैं और हिन्दी भी. लिखने- पढ़ने का सारा काम हम लोग हिन्दी में करते हैइसीलिए राजभाषा अधिनियम 1976 के अनुसार हमें ’ श्रेणी में रखा गया है और दस राज्यों में बँटने के बावजूद हमें हिन्दी भाषी’ कहा गया है. वैसे 2001 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार भोजपुरी बोलने वालों की संख्या लगभग 3,30,99497 ही है.

3. स्वाधीनता संग्राम में भाग लेने वाले सिर्फ हम भोजपुरी भाषी ही नहीं थे. देश भर के लोगों ने स्वाधीनता के लिए संघर्ष किया था. वैसे स्वाधीनता संग्राम में भाग लेने वाले अब संयोग से बचे नहीं हैं. वर्नावे अपने उत्तराधिकारियों की माँग से कत्तई सहमत नहीं होते. उन्होंने तो अंग्रेजों की गुलामी से पूरे देश की मुक्ति के लिए लड़ाई लड़ी जबकि ज.भो.मं. के लोग अपना घर बाँटने के लिए लड़ रहे हैं.

4. ज.भो.मं. के अनुसार भोजपुरी देशी भाषा है तो क्या हिन्दी देशी #भाषा नहीं हैक्या वह किसी अन्य देश से आई है?

5. ज.भो.मं. ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय सहित देश के कुछ विश्वविद्यालयों में भोजपुरी के पठन पाठन का जिक्र किया है. यह सूचना भ्रामक है. भोजपुरी हिन्दी का अभिन्न अंग हैवैसे ही जैसे राजस्थानीअवधीब्रज आदि और हम सभी विश्वविद्यालयों के हिन्दी- पाठ्यक्रमों में इन सबको पढ़ते-पढ़ाते हैं. हिन्दी इन सभी के समुच्चय का ही नाम है. हम कबीरतुलसीसूरचंदबरदाईमीरा आदि को भोजपुरीअवधीब्रजराजस्थानी आदि में ही पढ़ सकते हैं. हिन्दी साहित्य के इतिहास में ये सभी शामिल हैं. इनकी समृद्धि और विकास के लिए और भी प्रयास किए जाने चाहिए.

6. ज.भो.मं. ने मारीशस में भोजपुरी को सम्मान मिलने का तर्क दिया है. मारीशस में भोजपुरी को सम्मान मिलने से हिन्दी भी गौरवान्वित हो रही है. इससे अपने देश में भोजपुरी को मान नहीं मिल रहा- यह कैसे प्रमाणित हो सकता हैक्या घर बाँट लेना ही मान मिलना होता हैवैसे 2011 की जनगणना की रिपोर्ट अनुसार मारीशस की कुल आबादी बारह लाख छत्तीस हजार है जिसमें से सिर्फ 5.3 प्रतिशत लोग भोजपुरी भाषी है. यानीकिसी भी तरह यह संख्या एक लाख नहीं होगी.

7. क्या ज.भो.मं.मेडिकल और इंजीनियरी की पढ़ाई भोजपुरी में करा पाएगातमाम प्रयासों के बावजूद आज तक हम इन विषयों की पढ़ाई हिन्दी में करा पाने में सफल नहीं हो सके. ऐसी मांग करने वाले लोग अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में पढ़ाते हैंखुद हिन्दी की रोटी खाते हैं और #मातृभाषा के नाम पर भोजपुरी को पढ़ाई का माध्यम बनाने की माँग कर रहे हैंताकि उनके आस पास की जनता गँवार ही बनी रहे और उनकी पुरोहिती चलती रहे.

8. भोजपुरी के आठवीं अनुसूची में शामिल होने से करोड़ों भोजपुरी भाषियों में आत्मगौरव नहींआत्महीनताबोध पैदा होगा. घर बँटने से हिन्दी भी कमजोर होगी और भोजपुरी भी

9. ज.भो.मं. का कहना है कि भोजपुरी के आठवीं अनुसूची में शामिल होने से हिन्दी को कोई क्षति नहीं होगी. हिन्दी को होने वाली क्षति का बिन्दुवार विवरण हम यहाँ दे रहे हैं.:–

संविधान की आठवीं अनुसूची में भोजपुरी के शामिल होने से हिन्दी को होने वाली क्षति –

1. भोजपुरी के आठवीं अनुसूची में शामिल होने से हिन्दी भाषियों की जनसंख्या में से भोजपुरी भाषियों की जनसंख्या (ज.भो.मं. के अनुसार 20 करोड़) घट जाएगी. मैथिली की संख्या हिन्दी में से घट चुकी है. स्मरणीय है कि सिर्फ संख्या-बल के कारण ही हिन्दी इस देश की राजभाषा के पद पर प्रतिष्ठित है. यदि यह संख्या घटी तो #राजभाषा का दर्जा हिन्दी से छिनते देर नहीं लगेगी. भोजपुरी के अलग होते ही ब्रजअवधीछत्तीसगढ़ीराजस्थानीबुंदेलीमगहीअंगिका आदि सब अलग होंगी. उनका दावा भोजपुरी से कम मजबूत नहीं है. रामचरितमानस’, ‘पद्मावत’, या सूरसागर’ जैसे एक भी ग्रंथ भोजपुरी में नहीं है.

2. ज्ञान के सबसे बड़े स्रोत विकीपीडिया ने बोलने वालों की संख्या के आधार पर दुनिया के सौ भाषाओं की जो सूची जारी की है उसमें हिन्दी को चौथे स्थान पर रखा है. इसके पहले हिन्दी का स्थान दूसरा रहता था. हिन्दी को चौथे स्थान पर रखने का कारण यह है कि सौ भाषाओं की इस सूची में भोजपुरीअवधीमारवाड़ीछत्तीसगढ़ीढूँढाढीहरियाणवी और मगही को शामिल किया गया है. साम्राज्यवादियों द्वारा हिन्दी की एकता को खंडित करने के षड़्यंत्र का यह ताजा उदाहरण है और इसमें विदेशियों के साथ कुछ स्वार्थांध देशी जन भी शामिल हैं.

3. हमारी मुख्य लड़ाई अंग्रेजी के वर्चस्व से है. अंग्रेजी हमारे देश की सभी भाषाओं को धीरे धीरे लीलती जा रही है. उससे लड़ने के लिए हमारी एकजुटता बहुत जरूरी है. उसके सामने हिन्दी ही तनकर खड़ी हो सकती है क्योंकि बोलने वालों की संख्या की दृष्टि से वह आज भी देश की सबसे बड़ी भाषा है और यह संख्या-बल बोलियों के जुड़े रहने के नाते है. ऐसी दशा में यदि हम बिखर गए और आपस में ही लड़ने लगे तो अंग्रेजी की गुलामी से हम कैसे लड़ सकेंगे?

4. भोजपुरी की समृद्धि से हिन्दी को और हिन्दी की समृद्धि से भोजपुरी को तभी फायदा होगा जब दोनो साथ रहेंगी. आठवीं अनुसूची में शामिल होना अपना अलग घर बाँट लेना है. भोजपुरी तब हिन्दी से स्वतंत्र वैसी ही भाषा बन जाएगी जैसी बंगलाओड़ियातमिलतेलुगू आदि. आठवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद भोजपुरी के कबीर को हिन्दी के कोर्स में हम कैसे शामिल कर पाएंगेक्योंकि तब कबीर #हिंदी के नहींसिर्फ भोजपुरी के कवि होंगे. क्या कोई कवि चाहेगा कि उसके पाठकों की दुनिया सिमटती जाय?

5. भोजपुरी घर में बोली जाने वाली एक बोली है. उसके पास न तो अपनी कोई #लिपि है और न मानक व्याकरण. उसके पास मानक गद्य तक नहीं है. किस भोजपुरी के लिए मांग हो रही हैगोरखपुर कीबनारस की या छपरा की ?

6. कमजोर की सर्वत्र उपेक्षा होती है. घर बँटने से लोग कमजोर होते हैंदुश्मन भी बन जाते हैं. भोजपुरी के अलग होने से भोजपुरी भी कमजोर होगी और हिन्दी भी. इतना ही नहींपड़ोसी बोलियों से भी रिश्तों में कटुता आएगी और हिन्दी का इससे बहुत अहित होगा. मैथिली का अपने पड़ोसी अंगिका से विरोध सर्वविदित है.
7. संयुक्त राष्ट्र संघ में हिन्दी को स्थान दिलाने की माँग आज भी लंबित है. यदि हिन्दी की संख्या ही नहीं रहेगी तो उस मांग का क्या होगा?

8. स्वतंत्रता के बाद हिन्दी की व्याप्ति हिन्दीतर भाषी प्रदेशों में भी हुई है. हिन्दी की संख्या और गुणवत्ता का आधार केवल हिन्दी भाषी राज्य ही नहींअपितु हिन्दीतर भाषी राज्य भी हैं. अगर इन बोलियों को अलग कर दिया गया और हिन्दी का संख्या-बल घटा तो वहाँ की राज्य सरकारों को इस विषय पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है कि वहाँ हिन्दी के पाठ्यक्रम जारी रखे जायँ या नहीं. इतना ही नहींराजभाषा विभाग सहित केन्द्रीय हिन्दी संस्थानकेन्द्रीय हिन्दी निदेशालय अथवा विश्व हिन्दी सम्मेलन जैसी संस्थाओं के औचित्य पर भी सवाल उठ सकता है.

मान्यवरभोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की माँग भयंकर आत्मघाती है. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और स्व. चंद्रशेखर जैसे महान राजनेता तथा महापंडित राहुल सांकृत्यायन और आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी जैसे महान साहित्यकार ठेठ भोजपुरी क्षेत्र के ही थे किन्तु उन्होंने भोजपुरी को मान्यता देने की मांग का कभी समर्थन नहीं किया. आज थोड़े से लोगअपने निहित स्वार्थ के लिए बीस करोड़ के प्रतिनिधित्व का दावा करके देश को धोखा दे रहे है.

अत: ‘#हिन्दी_बचाओ मंच’ के हम सभी सदस्य आपसे से विनम्र अनुरोध करते हैं कि-

कृपया हिन्दी की किसी भी बोली को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल न करें और इस विषय में यथास्थिति बनाए रखें.
सधन्यवाद,

निवेदक : भारत के हम हिन्दी -लेखक :-
1. डॉ. अमरनाथप्रोफेसरक. वि. वि. तथा संयोजकहिन्दी बचाओ मंचकोलकातामो: 9433009898
2. प्रो. अच्युतानंद मिश्रपूर्व कुलपतिमा. च. पत्रकारिता विश्वविद्यालयभोपाल.
3. डॉ. अभिजीत सिंहआलोचक एवं संस्थापक सदस्यहिन्दी बचाओ मंचसिलीगुड़ी.
4. प्रो. अनंतराम त्रिपाठीप्रधानमंत्रीराष्ट्रभाषा हिन्दी प्रचार समितिवर्धा.
5. प्रो. अरुण होताअध्यक्षहिन्दी विभागप.बं.रा.विश्वविद्यालयबारासात.
6. प्रो. अच्युतनपूर्व प्रोफेसरहिन्दी विभागकालीकट विश्वविद्यालयकालीकट.
7. प्रो. आलोक पाण्डेयप्रोफेसरहिन्दी विभागकेन्द्रीय विश्वविद्यालयहैदराबाद.
8. प्रो. आलोक गुप्ताप्रोफेसरहिन्दी विभागकेन्द्रीय विश्वविद्यालयगाँधीनगर.
9. डॉ. आशुतोषलेखक व संस्थापक सदस्यहिन्दी बचाओ मंचकोलकाता.
10. ओमप्रकाश पाण्डेयप्रतिष्ठित लेखक व संपादक, ‘नया परिदृश्य’, सिलीगुड़ी.
11. कविता वाचक्नवीप्रख्यात लेखिका व महासचिव, ‘विश्वंभरा’, हॉस्टन,टैक्सास.
12. प्रो.कमलकिशोर गोयनकाप्रख्यात लेखक व उपाध्यक्षके.हि.सं.आगरा.
13. कनक तिवारीप्रख्यात लेखकसामाजसेवी व वरिष्ठ अधिवक्ताहाई कोर्टबिलासपुर.
14. प्रो. करुणाशंकर उपाध्यायअध्यक्षहिन्दी विभागमुंबई विश्वविद्यालय.
15. डॉ. करुणा पाण्डेयप्रतिष्ठित लेखिकाकोलकाता.
16. प्रो. काशीनाथ सिंहसाहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात लेखकवाराणसी.
17. प्रो. कृष्णकुमार गोस्वामीप्रख्यात भाषावैज्ञानिक व लेखकदिल्ली.
18. डॉ.कैलाशचंद्र पंतप्रतिष्ठित लेखक व मंत्रीम.प्र.राष्ट्रभाषा प्रचार समितिभोपाल.
19. प्रो.गंगाप्रसाद विमलप्रख्यात साहित्यकार व पूर्व प्रोफेसरजे.एन.यू. नई दिल्ली.
20. चित्रा मुद्गलव्यास सम्मान से सम्मानित कथाकारदिल्ली.
21. प्रो. चौथीराम यादवप्रख्यात लेखक व पूर्व प्रोफेसरबी.एच..यू.वाराणसी.
22. ज्योतिष जोशीप्रख्यात लेखक व संपादकललित कला अकादमीदिल्ली.
23. प्रो. जवरीमल्ल पारखप्रख्यात मीडिया समीक्षक व प्रोफेसरइग्नूनई दिल्ली.
24. डॉ. जवाहर कर्णावटप्रतिष्ठित लेखक व सहायक महाप्रबंधक (राजभाषा)मुंबई.
25. प्रो. जयप्रकाशप्रख्यात आलोचक एवं पूर्व प्रोफेसरचंडीगढ़ विश्वविद्यालय.
26. जय प्रकाश धूमकेतुप्रतिष्ठित लेखक व संपादक अभिनव कदम’, मऊनाथ भंजन.
27. जाबिर हुसेनबिहार विधान सभा के पूर्व अध्यक्ष व प्रख्यात लेखकपटना.
28. प्रो.जी. गोपीनाथनपूर्व कुलपतिम.गाँ.अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालयवर्धा.
29. जीवन सिंहसह सचिव अपनी भाषा’ एवं संस्थापक सदस्य हिन्दी बचाओ मंच’, कोलकाता.
30. प्रो.तंकमणि अम्मापूर्व हिन्दी विभागाध्यक्षकेरल विश्वविद्यालयतिरुवनंतपुरम.
31. डॉ. दामोदर खड़सेसाहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित लेखकमुंबई.
32. प्रो. देवराजप्रख्यात लेखक तथा डीनम.गां.अं.हि.वि.विश्वविद्यालयवर्धा.
33. डॉ. देवेन्द्र गुप्तप्रसिद्ध लेखक व संपादक, ‘सेतु’ एवं विपाशा’, शिमला.
34. डॉ. देवसिंह पोखरियाप्रख्यात आलोचक एवं प्रोफेसरकुमायूं विश्वविद्यालयनैनीताल.
35. प्रो. नंदकिशोर पाण्डेयनिदेशककेन्द्रीय हिन्दी संस्थानआगरा.
36. डॉ. नरेश मिश्रप्रोफेसरहरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालयमहेन्द्र गढ़.
37. डॉ. निर्मल कुमार पाटोदीलेखक व पूर्व निदेशक राजभाषामुंबई.
38. नीरज कुमार चौधरीशोधछात्रक.वि.वि. एवं संस्थापक सदस्यहिन्दी बचाओ मंचकोलकाता.
39. पंकज बिष्टप्रख्यात लेखक व संपादक समयांतर’, दिल्ली.
40. डॉ. परमानंद पांचालप्रसिद्ध लेखक व मंत्रीनागरी लिपि परिषददिल्ली.
41. पुष्पा भारतीप्रख्यात लेखिकाफ्लैट नं.-5शाकुन्तल साहित्य सहवासमुंबई.
42. डॉ. प्रकाशचंद्र गिरिप्रतिष्ठि कवि व एसो. प्रोफेसरएम.एल.के.कॉलेजबलरामपुरउ. प्र.
43. प्रो. प्रमोद कुमार शर्माअधिष्ठाताकला संकायनागपुर विश्वविद्यालय.
44. प्रेमपाल शर्माप्रख्यात भाषाविद्लेखक तथा पूर्व संयुक्त सचिवरेलवे बोर्डदिल्ली.
45. प्रभु जोशीप्रख्यात लेखक व चित्रकारइंदौर.
46. प्रो.पुष्पिता अवस्थीसुप्रसिद्ध लेखिका व कवयित्रीनीदरलैंड.
47. बलदेव बंशीप्रख्यात कवि – आलोचक व हिन्दी के योद्धाफरीदाबाद.
48. बीना बुदकीमंत्रीहिन्दी कश्मीरी संगमदिल्ली.
49. डॉ. बीरेन्द्र सिंहअसिस्टेंट प्रोफेसरस्काटिश चर्च कालेज व सदस्यहिन्दी बचाओ मंचकोलकाता.
50. बिजय कुमार जैनप्रख्यात पत्रकार व संयोजकहिन्दी वेलफेयर ट्रस्टमुंबई.
51. प्रो.बी.वै.ललिताम्बाप्रख्यात लेखिकाहिन्दी सेवी व पूर्व प्रोफेसरबंगलौर.
52. भारतेन्दु मिश्रप्रतिष्ठित लेखक व शिक्षाविद्दिल्ली.
53. प्रो.महावीर सरन जैनभाषाविद् व पूर्व निदेशकके. हि. सं. आगरा.
54. डॉ. महेश दिवाकरअध्यक्षअंतरराष्ट्रीय साहित्य कला मंचमुरादाबाद.
55. महेश जायसवालप्रख्यात नाटककार व संस्कृतिकर्मीकोलकाता.
56. महेश चंद्र गुप्तप्रख्यात हिन्दी सेवी व पूर्व निदेशक (राजभाषा)दिल्ली.
57. डॉ. एम. एल. गुप्ता आदित्यसंयोजकवैश्विक हिन्दी सम्मेलनमुंबई.
58. प्रो.एम.बेंकटेश्वरसमीक्षक व पूर्व प्रोफेसरउस्मानिया विश्वविद्यालयहैदराबाद.
59. प्रो. योगेन्द्र प्रताप सिंहप्रोफेसरहिन्दी विभागलखनऊ विश्वविद्यालयलखनऊ.
60. प्रो. रंजना अरगड़ेअध्यक्षहिन्दी विभागगुजरात विश्वविद्यालयअहमदाबाद.
61. रंजीत संकल्पसचिवबंगीय हिन्दी परिषद एव संस्थापक सदस्य हिन्दी बचाओ मंच’, कोलकाता.
62. प्रो. रमेश दवेप्रख्यात आलोचक एवं पूर्व प्रोफेसरभोपाल.
63. रमेश जोशीप्रतिष्ठित लेखक व प्रधान संपादक विश्वा’, ओहायो.
64. पद्मश्री रमेशचंद्र शाहव्यास सम्मान से सम्मानित प्रख्यात साहित्यकारभोपाल.
65. प्रो.रविभूषणप्रख्यात लेखक व पूर्व हिन्दी विभागाध्यक्षराँची विश्वविद्यालयरांची.
66. प्रो. रवि श्रीवास्तवप्रख्यात आलोचक व पूर्व प्रोफेसरहिन्दीराजस्थान वि.वि. जयपुर.
67. रविप्रताप सिंहप्रतिष्ठित कवि व अध्यक्ष, ‘शब्दाक्षर’, कोलकाता.
68. डॉ. राजेन्द्रनाथ त्रिपाठीमंत्रीबंगीय हिन्दी परिषद्कोलाकाता.
69. राजेन्द्र प्रसाद पाण्डेयप्रतिष्ठित लेखकवाराणसी.
70. डॉ. राजेन्द्र कुमारप्रख्यात लेखक व पूर्व प्रोफेसरइलाहाबाद विश्वविद्यालयइलाहाबाद.
71. प्रो. राजश्री शुक्लाअध्यक्षहिन्दी विभागकलकत्ता विश्वविद्यालयकोलकाता.
72. राजकिशोरप्रख्यात लेखक- पत्रकार एवं संपादक, ‘रविवार’, इंदौर.
73. डॉ. राजेन्द्रआलोचक व संस्थापक सदस्यहिन्दी बचाओ मंचकोलकाता.
74. राकेश पाण्डेयसंपादक, ‘प्रवासी संसार’, नई दिल्ली.
75. राहुल देवप्रख्यात पत्रकारदिल्ली.
76. डॉ. राधेश्याम शुक्लसंपादक, ‘भास्वर भारत’, हैदराबाद.
77. प्रो. रूपा गुप्ताप्रसिद्ध लेखिका व अध्यक्षहिन्दी विभागबर्दवान विश्वविद्यालय.
78. प्रो. रोहिणी अग्रवाललेखिका व अध्यक्षहिन्दी विभागम.द.विश्वविद्यालयरोहतक.
79. डॉ.ऋषिकेश रायप्रतिष्ठित कवि- आलोचक व उपनिदेशक(राजभाषा),टी.बोर्डकोलकाता.
80. प्रो.ऋषभदेव शर्माप्रतिष्ठित लेखक व संयुक्त संपादक, ‘भास्वर भारत’, हैदराबाद.
81. विश्वनाथ सचदेवप्रख्यात पत्रकारसंपादक नवनीत’ मुंबई.
82. विभूतिनारायण रायप्रख्यात लेखक व पूर्व कुलपति,म.गाँ.अं.हि.विश्वविद्यालयवर्धा.
83. प्रो.विजयकुमार मल्होत्राप्रख्यात लेखक व भाषाविद्दिल्ली.
84. डॉ. विजयबहादुर सिंहप्रख्यात आलोचक एवं पूर्व संपादक वागर्थ’, भोपाल.
85. विजय गुप्तप्रसिद्ध लेखक व संपादक साम्य’, अम्बिकापुरजिला- सरगुजाछ.ग.
86. डॉ. विमलेश कान्ति वर्माप्रख्यात भाषाविद व प्रोफेसरदिल्ली विश्वविद्यालय.
87. डॉ. विद्या विन्दु सिंहप्रतिष्ठित लेखिका व पू.सं.नि. उ. प्र. हिं. सं. लखनऊ.
88. डॉ. वेदप्रताप वैदिकप्रख्यात पत्रकारदिल्ली.
89. डॉ. वेद प्रकाश पाण्डेयप्रतिष्ठित लेखक व अवकाशप्राप्त प्राचार्यगोरखपुर.
90. डॉ.शंकरलाल पुरोहितप्रख्यात लेखक व अनुवादकभुवनेश्वर.
91. शकुंतला बहादुरप्रतिष्ठित लेखिकाकैलीफोर्निया.
92. शकुन त्रिवेदीसंपादक, ‘द वेक’, कोलकाता.
93. शची मिश्राभोजपुरी की प्रतिष्ठित लेखिकापुणे.
94. प्रो. शैलेन्द्र कुमार शर्माअध्यक्षहिन्दी विभागविक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन.
95. श्रीमती शान्ता बाईसचिवकर्णाटक महिला हिन्दी सेवा समितिबंगलौर.
96. श्रीधर बर्वेप्रतिष्ठित लेखक व पूर्व प्राचार्यइंदौर.
97. प्रो. श्रीभगवान सिंहप्रख्यात लेखक व प्रोफेसरभागलपुर विश्वविद्यालय.
98. डॉ. श्रीनिवास शर्माप्रख्यात आलोचक संस्थापक सदस्यहिन्दी बचाओ मंचकोलकाता.
99. प्रो. एस.एम. इकबालराष्ट्रपति द्वारा सम्मानित हिन्दी लेखकविशाखापत्तनम्
100. प्रो. सोमा बंद्योपाध्यायप्रतिष्ठित लेखिका एवं कुलसचिवकलकत्ता विश्वविद्यालय.
101. प्रो. संजीव कुमार दुबेअध्यक्षहिन्दी विभागकेन्द्रीय विश्वविद्यालय गाँधीनगर.
102. प्रो. एस. शेषारत्नम् पूर्व प्रोफेसरआंध्रा विश्वविद्यालयविशाखापत्तनम्.
103. प्रो.सुधीश पचौरीप्रख्यात लेखक व पूर्व प्रतिकुलपतिदिल्ली विश्वविद्यालय.
104. प्रो. सदानंद गुप्तप्रतिष्ठित लेखक व पूर्व प्रोफेसरगोरखपुर विश्वविद्यालय.
105. डॉ.सत्यप्रकाश तिवारीसंस्थापक सदस्यहिन्दी बचाओ मंचकोलकाता.
106. प्रो. सूर्यप्रसाद दीक्षितसंयोजक हिन्दीसाहित्य अकादमीदिल्ली.
107. प्रो. सुरेन्द्र दुबेप्रतिष्ठित लेखक व कुलपतिबुन्देलखंड विश्वविद्यालयझांसी.
108. स्नेह ठाकुरप्रतिष्ठित लेखिका व संपादक वसुधा’, टोरंटोकनाडा.
109. सुरेशचंद्र शुक्लप्रतिष्ठित लेखक व संपादक ‘Speil दर्पण’, नार्वे.
110. सुशील कुमार शर्माप्रोफेसरहिन्दी विभागमिजोरम विश्वविद्यालय.
111. प्रो. हरिमोहनकुलपतिजे. एस. विश्वविद्यालयशिकोहाबादफिरोजाबाद.
112. प्रो. हरिमोहन बुधौलियापूर्व हिन्दी विभागाध्यक्षविक्रम वि.वि.उज्जैन.
113. क्षमा शर्माप्रतिष्ठित लेखिकादिल्ली.

संपर्क : डॉ. अमरनाथ
प्रोफेसरहिन्दी विभागकलकत्ता विश्वविद्यालय एवं संयोजकहिन्दी बचाओ मंच
ईई-164/402सेक्टर-2साल्टलेककोलकाता-700091
ई-मेल : amarnath.cu@gmail.com, Mobile: 09433009898
साभार: हिंदी बचाओ मंच