मेरा दिल एक खुली किताब है।
जिसके हर पन्ने पर तेरा ही नाम है।

रोशन हैं राहें जिंदगी
धूमिल कुछ सफर है
बीत रहा हूँ कुछ वक़्त सा
मंजिल है न घर है।

मंजर बहुत हैं जज्बातों के दिल में
जैसे सागर में लहर हैं।
तपती धूप बहुत है भीतर
जैसे दहकता भीतर समुद्र है।

मेघ की बूंदों में तुम
चमकती हुई बिजली सी।
सावन सी उम्मीद तुम
पतझड़ का सूनापन है।

रेत सी तुम निश्चल शांत भवंर सी तुम
बदली मौसम संग हो।
तुम हुई रात में शीतल चंद्रमा सी
दिन में जैसे दहकता जंगल है।

बीत रहा हूँ मैं कुछ सन्नाटे सा
तुम इस सन्नाटेपन सी हो।
मेरा दिल एक खुली किताब है।
जिसके हर पन्ने पर तेरा ही नाम है।

#ओम#