संस्कार और परिवार फिर तकरार (एक कथा) लेखक:- अरशद मिर्ज़ा

संस्कार और परिवार फिर तकरार

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या करूं क्या नहीं ,एक तरफ मेरी प्यारी बीवी और दूसरी तरफ वो जिससे मुझे प्यार हुआ था मै आफिस के काम से बाहर एक शापिंग माल के पास में एक मीटिंग में गया था मीटिंग के बाद मुझे सीधे घर जाना था मीटिंग ख़तम करके मैने सोचा माल में से कुछ शॉपिंग कर लेता हूं मेरी बीवी का बर्थडे ह मै एक लेडीज़ शॉप पर उसके लिए गिफ्ट और ड्रेस देख रहा था तभी मेरी नजर दूसरी शॉप पर पड़ी मैने महसूस किया मुझे कोई लड़की बहुत देर से देख रही है तभी मैने नजर उठाई तो देखा वो तो मेरी प्रेमिका कहूं या बेस्ट फ्रैंड है, उसने मुझे अपने पास आने का इशारा किया मैं उससे मिला तो बाते हुई ओर फिर हम काफी शॉप में गए एक साथ बैठकर प्यार भरी बातें हो रही थी हम बहुत एन्जॉय कर रहे थे हमने एक साथ शॉपिंग भी की और मैने उसके लिए भी गिफ्ट खरीदे और एक साथ फिल्म भी देखी, पूरे दिन हम एक दूसरे के हाथ में हाथ बगल में डालकर एन्जॉय कर रहे थे आपको बता दू मेरी इस प्रेमिका से मेरी मुलाक़ात मेरी शादी होने के तकरीबन 2 साल बाद मेरे आफिस में हुई थी तभी से हम दोनों एक दूसरे में घुल मिल गए थे पूरे दिन एन्जॉय करने के बाद रात के तकरीबन 8 चुके थे हम गले मिलकर बस निकाल ही रहे थे तभी अचानक से मेरी बीवी का भाई मेरे सामने आ गया और वो हमें आज शुरू से ही नोटिस कर रहा था मेरी प्रेमिका और वो मेरे साथ ही खड़ी थी और हम दोनों के हाथ एक दूसरे के हाथ में थे समझ नहीं आ रहा था मै क्या करू खैर वहीं हुआ जिसका डर था मेरी बीवी के भाई की आगे तकरीबन २२ साल थी फिर उसने पूछ ही लिया जीजा जी आप यहां क्या कर रहे हो , मै हिचकिचाते हुए बोला की कुछ नहीं में तो बस ऐसे ही आया था यहां पर ये मिल गई बीवी के भाई ने मुस्कुराते हुए कहा जीजा जी कोई बात नहीं में आपसे नाराज़ नहीं हूं आप टेंशन ना ले में दीदी को कुछ नहीं बताऊंगा उसकी इतनी बात सुनकर मैं पानी पानी हो गया मै उससे बड़ा होने के बावजूद आज अपने आपको उसके सामने खड़ा नहीं कर पा रहा था ,फिर उसने मुझे हिम्मत देकर उसने मुझे संभाला और बोला जीजा जी मेरी दीदी ने आज तक कभी किसी की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखा है में उसका भाई हूं और मुझे ये भी उम्मीद है आपने भी अभी तक दीदी को देख व समझ ही लिया होगा वो कैसी हैं एक बात याद रखना हमारे पास बस यही संस्कार है जो हमारे मा बाप ने हमें दिए है लेकिन आपसे एक गुज़ारिश है मेरी दीदी आप पर इतना भरोसा करती है अगर मै भी दीदी को आपके बारे में बोलूंगा तो वो यकीन नहीं करेंगी। लेकिन आपसे गुज़ारिश है अगर आप सच में एक दूसरे से प्यार करते हो तो शादी कर लीजिए और मेरी दीदी के सामने जाकर सबकुछ सच बता दीजिए अगर आप ऐसा कर सकते हो तो ठीक है नहीं तो आपसे में हाथ जोड़कर विनती करता हूं आप मेरी दीदी को धोखा ना दे जो भी फैसला करना है वो अभी कर लीजिए इसके बाद मैने अपनी प्रेमिका को देखा तो उसका हाथ अभी तक मेरे हाथ में ही था तब मेरी ये समझ में आया जब इतनी बात होने पर मुझे इतनी शर्मिंदगी हो रही है तो मेरी लवर भी अगर मुझसे सच्चा प्यार करती तो शायद उसको मुझे समझना चाहिए था और मेरी बीवी के भाई से माफी मांगकर कहती आज के बाद ये मेरे साथ नहीं रहेंगे जब आपकी आंखों में अपने जीजा जी के लिए इतना प्यार है तो आपकी दीदी सच में इनसे कितना प्यार करती होंगी तब जाकर मुझे समझ आया सच्चा प्यार दिखावे से नहीं दिल से किया जाता है ,उसके बाद मैने अपनी प्रेमिका को हमेशा के लिए भूल जाने के लिए बोला और अपनी बीवी के भाई से माफी मांगी और उसको शुक्रिया भी कहा के मुझे सही राह दिखाने के लिए दिल से धन्यवाद अब कभी भी मै अपनी बीवी और परिवार में किसी का भी दिल दुखाने वाला काम नहीं करूंगा। देखा जाए तो संस्कार भी बहुत बड़ी चीज होती है ,इसलिए कहते है अपने संस्कार कभी भूलने नहीं चाहिए आज हमारा परिवार बहुत खुशहाल है और ये सब खुशहाली सिर्फ मेरी बीवी के अच्छे संस्कार की देन है संस्कार से इंसान की पहचान होती है, संस्कार है तो सबकुछ है। मै सब पुरानी बाते वक़्त के साथ भूल चुका था लेकिन तक़रीबन 5 साल बाद अचानक से मेरी वहीं प्रेमिका एक शादी में दिखी और देखते ही हम दोनों की आंखे टकराई और पुराने वो सब दिन पल भर में सामने आ गए। फिर उसने थोड़ी हिम्मत दिखाई खुश मैने फिर हम दोनों की हाए हेल्लो हुई तभी मेरी पत्नी सामने आ गई और उसके कुछ सेकंड बाद ही मेरी पत्नी का वही भाई भी आकर साथ ने खड़ा हो गया मेरी कुछ समझ नहीं आ रहा था सब एक दूसरे के चेहरे को देख रहे थे मुझे आज सच में बहुत घबराहट हो रही थी जाने आज क्या होगा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था क्या मेरी बीवी मुख्य छोड़ कर चली जाएगी या मेरी प्रेमिका मेरी ज़िंदगी में आ जाएगी…आगे क्या हुआ मिलते है थोड़े इंतज़ार के बाद आगे बहुत कुछ हुआ मेरी ज़िन्दगी में आपको सब बताऊंगा बस थोड़ा इंतजार करिए क्योंकि अब तकरार की बारी है। ……
धन्यवाद.

जबसे से तुमने मुझे अपने दिल में बसा लिया था
मैने भी तुम्हारे नाम ज़िन्दगी लिखने का इरादा बना लिया था

जब तुमने मुझे पसंद करके दिल में बसा लिया था
मैने भी तुम्हे हमेशा खुश रखने का इरादा बना लिया था

तुम्हे जो पा लिया है मुझे गुरूर सा अब हो गया है
लाखों को छोड़कर तुमने जबसे मुझे कबूल किया है

तुम्हारी चाहत में इतना तो कर ही सकता हूं मैं
तुम्हे पाकर थोड़ा सा गुरूर तो कर ही सकता हूं मैं.!
#ArshadMirza

मेरे प्यारे दोस्तो इस कहानी के 2 पार्ट संस्कार और परिवार मैने आपको बता दिए है अब तकरार की बारी आने वाली है तकरार वाला पार्ट बहुत रोमांचक होने वाला है दोनों पिछले पार्ट से भी ज्यादा आपको पसंद आएगा,और ध्यान रहे ये सिर्फ एक काल्पनिक कथा है इसमें जो भी लिखा है वो किसी वस्तु या किसी के जीवन आदि से इसका कोई सम्बन्ध नहीं है अगर इसे पढ़ने के बाद किसी का दिल दुखे या किसी को कोई परेशानी हुई हो तो उसके लिए तहे दिल से माफी चाहता हूं।

#अरशद मिर्ज़ा।
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