वर्तमान प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था पर प्रकाश डाला गया है और उसके साथ ही प्राथमिक शिक्षा को कैसे गुणवत्तापूर्ण बनाया जाए जिससे कि सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को उचित शिक्षा उपलब्ध कराई जा सके
शिक्षा और अनुसंधान में निवेश ही दीर्घकालीन संवृद्धि एवं विकास की धुरी है। आज, जापान, पूर्वी एशिया के नव विकसित देशों एवं पश्चिमी देशों के विकास का आधार शिक्षा ही है। गौरतलब है कि शिक्षा पर होने वाले खर्च से सीधे तौर पर लाभान्वित व्यक्ति को ही लाभ नहीं मिलता
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने नई शिक्षा नीति तैयार करने के लिये वर्ष 2015 में पूर्व कैबिनेट सचिव टी.एस.आर. सुब्रमण्यम की अध्यक्षता में पाँच सदस्यीय समिति का गठन किया गया। समिति की ओर से तैयार नई शिक्षा नीति का मसौदा सरकार को सौंप दिया गया। इस नीति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा के साथ कृषि शिक्षा, कानूनी शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा और तकनीकी शिक्षा जैसी व्यावसायिक शिक्षाओं को इसके दायरे में लाया गया है। यह नीति इन चार नींवों पर रखी गई है – उपलब्धता, समानता, गुणवत्ता, सुलभता और उत्तरदायित्व।