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हिंदी कहानी संग्रह : आत्‍माएँ बोल सकती हैं (डॉ. ललित सिंह राजपुरोहित)-समीक्षक: सुश्री डेल्‍सी एलिजाबेथ

यह एक कहानी संग्रह है, पुस्‍तक के नाम से ऐसा लगता है जैसे ‘भूतहा दुनिया’ में ले जाने वाली कोई किताब। मगर, ऐसा नहीं है, इस पुस्‍तक में 14 कहानियों को समेटा गया है। कहानियॉं जो हमारे आसपास के संसार को बुनती है।

तूने सबकुछ ही दिया है जिन्दगी : ग़ज़ल कविता सप्तक (साझा संग्रह)-समीक्षक :एम.एम. चन्द्रा

नए रचनाकारों को लेकर हमेशा से ही छींटा-कसी , उठा-पटक का दौर चलता रहा है लेकिन सृजन की जमीन से जुड़ा रचनाकार समय के साथ हमेशा अपने  को परिष्कृत करता हुआ आगे बढ़ता है. जिसने अपने समय को नहीं पहचाना वह स्वयं  ही विदा हो जाता है  लेकिन जिनके रचनाएं अपने समय का प्रतिनिधित्व करती है.

लौटना है फिलवक्त जहाँ हूँ-अनिरुद्ध उमट

कोई कवि यशः प्रार्थी कवि है या नहीं, इसे जाँचने की मेरे पास एक ही कसौटी है। यदि वह मुझ से कहता है कि मेरे पास कुछ महत्व की बातें है जिन्हें कहने के लिए मैं कविता करता हूँ, तो मुझे उसके कवित्व पर सन्देह हो जाता है।

नाच्यो बहुत गोपाल-अनुराग कुमार पाण्डेय

‘नाच्यो बहुत गोपाल’ साहित्यकार अमृतलाल नागर द्वारा लिखित उपन्यास है। इसे राजपाल एंड सन्स, दिल्ली द्वारा सन् 2010 में प्रकाशित किया गया है। इसमें एक मेहतर (अछूत जाति) या ब्राह्मणी के मेहतर बनने के जीवन की सम्पूर्ण कथा को चित्रित किया गया है।

नाच्यो बहुत गोपाल

नाच्यो बहुत गोपाल ‘नाच्यो बहुत गोपाल’ साहित्यकार अमृतलाल नागर द्वारा लिखित उपन्यास है। इसे राजपाल एंड सन्स, दिल्ली द्वारा सन् 2010 में प्रकाशित किया गया...

डाॅ.करुणाशंकर उपाध्याय की सद्यःप्रकाशित पुस्तक ‘मध्यकालीन कविता का पुनर्पाठ ‘ का लोकार्पण

महाराष्ट्र व गोवा के माननीय राज्यपाल श्री भगत सिंह कोश्यारी के कर कमलों से मुंबई विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के प्रोफेसर एवं अध्यक्ष डाॅ.करुणाशंकर उपाध्याय की सद्यःप्रकाशित पुस्तक 'मध्यकालीन कविता का पुनर्पाठ ' का लोकार्पण राजभवन के दरबार हाल में सम्पन्न हुआ।

आपातकाल पर लिखी काव्य कृति -‘क्रांतिदूत’

वैसे तो आपातकाल और लोकनायक पर देश में बहुत सी किताबे और साहित्य उपलब्ध है। परन्तु काव्य कृति ‘क्रांतिदूत’ लोकनायक जयप्रकाश नारायण देश में १९७३ से १९७७ तक देश घटित सच्ची घटनाओं पर आधारित आपातकाल पर पहली पध ( काव्य कृति ) है। जिसमें निम्म का विस्तृत दिल को छूने वाला ,आहत करने वाला चित्रण है।

कौन हैं भारत माता ?: पुरुषोत्तम अग्रवाल

यह पुस्तक आज के समय में ख़ासतौर से प्रासंगिक है जब ‘राष्ट्रवाद’ और ‘भारतमाता की जय’ के नारे का इस्तेमाल भारत के विचार को एक आक्रामक चोगा पहनाने के लिए किया जा रहा है जिसमें यहाँ रहनेवाले करोड़ों निवासियों और नागरिकों को छोड़ दिया गया है।

उसने गांधी को क्यूँ मारा: अशोक कुमार पाण्डेय

यह किताब आज़ादी की लड़ाई में विकसित हुये अहिंसा और हिंसा के दर्शनों के बीच कशमकश की सामाजिक-राजनैतिक वजहों की तलाश करते हुए उन कारणों को सामने लाती है जो गांधी की हत्या के ज़िम्मेदार बने।

कश्मीर और कश्मीरी पंडित: अशोक कुमार पाण्डेय

यह किताब कश्मीर के उथल-पुथल भरे इतिहास में कश्मीरी पंडितों के लोकेशन की तलाश करते हुए उन सामाजिक-राजनैतिक प्रक्रियाओं की विवेचना करती है जो कश्मीर में इस्लाम के उदय, धर्मान्तरण और कश्मीरी पंडितों की मानसिक-सामाजिक निर्मिति तथा वहाँ के मुसलमानों और पंडितों के बीच के जटिल रिश्तों में परिणत हुईं।

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