कौन हैं भारत माता ?: पुरुषोत्तम अग्रवाल
परिचय
किताब के बारे में ‘यह भारतमाता कौन है, जिसकी जय आप देखना चाहते हैं?’ 1936 की एक सार्वजनिक सभा में जवाहरलाल नेहरू ने लोगों से यह सवाल पूछा। फिर उन्होंने कहा—बेशक ये पहाड़ और नदियाँ, जंगल और मैदान सबको बहुत प्यारे हैं, लेकिन जो बात जानना सबसे ज़रूरी है वह यह कि इस विशाल भूमि में फैले भारतवासी सबसे ज़्यादा मायने रखते हैं। भारतमाता यही करोड़ों-करोड़ जनता है और भारतमाता की जय उसकी भूमि पर रहने वाले इन सब की जय है।’ यह किताब इस सच्ची लोकतांत्रिक भावना और समावेशी दृष्टिकोण को धारण करने वाले शानदार दिमाग़ को हमारे सामने रखती है। यह पुस्तक आज के समय में ख़ासतौर से प्रासंगिक है जब ‘राष्ट्रवाद’ और ‘भारतमाता की जय’ के नारे का इस्तेमाल भारत के विचार को एक आक्रामक चोगा पहनाने के लिए किया जा रहा है जिसमें यहाँ रहनेवाले करोड़ों निवासियों और नागरिकों को छोड़ दिया गया है। ‘कौन हैं भारतमाता?’ में नेहरू की क्लासिक किताबों—‘आत्मकथा’, ‘विश्व इतिहास की झलक’ और ‘भारत की खोज’—से लेख और अंश लिये गए हैं। उनके भाषण, निबन्ध और पत्र, उनके कुछ बहुत प्रासंगिक साक्षात्कार भी इसमें हैं। संकलन के दूसरे भाग में नेहरू का मूल्यांकन करते हुए अन्य लेखकों के अलावा महात्मा गांधी, भगत सिंह, सरदार पटेल, मौलाना आज़ाद समेत अनेक महत्त्वपूर्ण हस्तियों के आलेख शामिल हैं। इसकी विरासत आज भी महत्त्वपूर्ण बनी हुई है |.
लेखक
पुरुषोत्तम अग्रवाल हिंदी के एक प्रमुख आलोचक, कवि, चिन्तक और कथाकार हैं। कई पुस्तकों का लेखन किया है, जिनमें ‘संस्कृति: वर्चस्व और प्रतिरोध’, ‘तीसरा रुख’,’विचार का अनंत’, ‘शिवदान सिंह चौहान’, ‘निज ब्रह्म विचार’, ‘कबीर: साखी और सबद’, ‘मजबूती का नाम महात्मा गाँधी’ (गाँधी शांति प्रतिष्ठान, नयी दिल्ली के वार्षिक भाषण का पुस्तकाकार प्रकशित रूप) ‘अकथ कहानी प्रेम की: कबीर की कविता और उनका समय’(२००९) प्रमुख हैं। प्रो॰ अग्रवाल की प्रसिद्धि का आधार है: ‘अकथ कहानी प्रेम की: कबीर की कविता और उनका समय’. इस पुस्तक ने अग्रवाल को दुनियाभर में कबीर के मर्मभेदी आलोचक के रूप में प्रसिद्ध कर दिया.