केथी की कथा

-डॉ. रूपेन्द्र कवि

 

23 जननरी 2017 बड़ा अच्छा दिन था जब मुझे फेसबुक पर केथी ब्राउन का फ्रेंड रिक्वेस्ट आया। मैंने ज्यादा सोचे बिना इस अमेरिकन महिला को फेसबुक मित्र स्वीकार कर लियाा। 24 जनवरी को यह संदेश मिला कि मैं उससे ई-मेल से चेटिंग करूं तो ज्यादा सुविधा होगा- मैंने भी हामी भर दी। 24 जनवरी से ईमेल पर बात होने लगी, उसने स्वयं को अमेरीकन सेना का चिकित्सक बताया और इस समय ईराक में सैन्य बल के साथ युद्ध में होना बताया। उसने मेरी भूरी-भूरी तरीफ की और कहा कि मेरा प्रोफाईल आकर्षित किया व मैं एक अच्छा इंसान लगा, इसलिये उसने मुझसे दोस्ती का हाथ बढ़ाया। मुझे भी अच्छा लगा कोई मेरी तारीफ कर रहा है मैंने भी हल्का-फुल्का अपने बारे में बताया। उसने अपने आपको एक परित्यक्ता बताया। बताया कि उसका एक 04 वर्ष का बेटा है जिसका नाम-लेस्ली है। लेस्ली अपने नानी के देखरेख में रहता है। लेस्ली ही अब केथी के जीवन को जीने का एकमात्र वजह है। मैंने भी दो बच्चे- वाणी-धानी का पिता होना व मोनिका जी का प्यार करने वाला पति होना बताया। 26 जनवरी को मुझे भरोसा दिलाते हुए अपने फौजी वर्दियों के साथ केथी ने फोटो भेजा। मैंने भी अपने परिवार का फेसबुक का एक फोटो सहर्ष भेज दिया। 28 जनवरी को उसने कुछ शुभकामना संदेश (ग्रीटींग कार्ड) वाले फोटो भेजे। मेरा एक साफ दिल इंसान होना बताया और विश्वास दिलाते हुए लिखा कि उसके जीवन में बेटा लेस्ली के अलावा मात्र एक मैं मिला, जिससे वह खुलकर दिल की बात कर रही है। मैं भारतीय संस्कारी दिल का होने से कुछ साफ करता हुआ प्रत्युत्तर दिया कि मैं शादीशुदा व बच्चों का पिता हूं, मेरे जीवन में उनके सामने कोई भी नहीं, यद्यपि केथी तुम भीनहीं। प्रतिदिन वह ईमेल करती और जैसे मेरा प्रत्युत्तर मिले सहर्ष वह पुनः प्रत्युत्तर करती। 01 फरवरी को उसका प्रत्युत्तर न आने से मैंने फेसबुक का मेसेंजर में भी संदेश लिखा कि वह ईमेल पढ़ले। 03 फरवरी को उसने ईमेल के प्रत्युत्तर में बताया कि वह युद्ध के लिये सैन्य टुकड़ी के साथ निकलने की तैयारी में है और इस वजह से व्यस्त थी, उसका फेसबुक अकाऊंट हैक हो चुका है। मैं उसके युद्ध में जाने- खैरियत के लिये ईश्वर से प्रार्थना करूं। मैंने वाकई मन ही मन भगवान से प्रार्थना भी किया कि वह सकुशल युद्ध कर लौटे। साथ में उसने बताया कि उसका बेटा इस वक्त बहुत बीमार है, तो इस बुरे वक्त पर उसके लिये भी ईश्वर से प्रार्थना करूं। अगले दिन यानी 05 फरवरी को कहा कि वह सैन्य युद्ध की टुकड़ी के साथ युद्ध पर निकली थी। उनकी गाड़ी व स्वयं केथी दुर्घटनाग्रस्त हो गई। उसे अब सिर्फ अपने बेटे की चिंता हो रही है। मैं प्रार्थना करूं कि सब ठीक हो जाए। उसने मुझसे कहा कि उसके पैर में गम्भीर चोट है व शरीर में असहनीय दर्द है, वहां से फोन या ईमेल करना भी मना है। बहुत अनुरोध के पश्चात् वह मुझे अपने टेब से ईमेल कर पा रही है। मैं उसके सैनिक कार्यालय के अवकाश विभाग से केथी के अवकाश के लिये अनुरोध करूं। मैंने बहुत सोचा कम दिन की मित्रता, वह भी फेसबुक पर। चलो फिर भी मानवता के नाते मैंने केथी के दिए बेवसाईट पर जाकर एक निवेदन किया कि में केथी का मित्र हूं, उसके स्वस्थ होने तक उसे उसके बच्चे के देखभाल के लिये अवकाश स्वीकृत किया जाए। फिर वहां अवकाश विभाग से प्रत्युत्तर आया कि इसके लिये मुझे कुछ अमानत राशि जमा करनी होगी। तब तक केथी ने मुझसे ईमेल से जानकारी लिया कि क्या हुआ? मैंने ईमेल से घटनाक्रम बताया और बताया कि फरवरी माह आयकर चुकाने का समय होता है और मैं अभी यह राशि चुकाने में असमर्थ हूं। केथी ने अनुरोध किया कि, 1500 से 2000 रूपये की बात होगी उसके बिना उसे अवकाश नही मिल पायेगा। मैंने अवकाश विभाग को हामी भर दी। अगले दिन सैनिक कार्यालय के अवकाश विभाग से नियत प्रपत्र भेजा गया, जिसमें कुछ मेरी आधारभूत जानकारी चाही गई थी। उसके पश्चात् 01 लाख 50 हजार रूपये की राशि जमा करने के लिये कहा गया।

मैंने केथी से सम्पर्क कर बताया कि यह सम्भव नहीं है, क्योंकि फरवरी आयकर चुकाने का माह होता है और मैंने पहले से ही अपने जरूरतों के लिये कर्ज ले रखा है। उसने पहले तो मुझसे अनुरोध किया, मेरे मना करने पर कुछ भला-बुरा भी कहा। कुछ दिन मैं इस घटनाक्रम पर मंथन करता रहा कि 05 फरवरी को जिस मेल से पैसे की मांग हुई ‘‘दाल में कुछ तो काला है’’, यकीन मानिये तो शुरूआत से ही केथी के मीठी-मीठी बातों से मुझे शक हो चला था कि कुछ तो गड़बड़ है। परन्तु एक जिज्ञासा व खोजी प्रवृत्तिवश मैंने इस फेसबुक, ईमले की मित्रता को जारी रखा था। उसका अंत कुछ यूं हुआ कि मैंने अपने लगभग दो माह तक चले इस अनुसंधान से पाया कि मामला गड़बड़ है। मेरे एक दिल्ली में रह रहे मित्र, राजेश से बातकर आश्वस्त हुआ कि मैं सही सोच रहा हूं- इस तरह की घटना को- ‘‘हनीमून ट्रेपिंग’’ कहते हैं। प्रायः युवक-युवतियां सोशल मिडिया के माध्यम से ऐसे जाल बिछाकर प्रभावशील लोगों से पैसे निकलवाते हैं। मैंने अपने सावधान रवैय्या से स्वयं को इस जाल से बचा लिया, कहीं आप तो ऐसे किसी जाल में नहीं फसाए जा रहें हैं – सावधान!

(सत्यकथा पर आधारित मेरा अनुसंधानात्मक संस्मरण)

‘कवि निवास’, ग्राम व पोस्ट-मालगांव, तहसील-बकावण्ड, जिला-बस्तर (छत्तीसगढ़)

पिनकोड- 494221