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कविता

खामोशी

भावनाओं से बिछी रिश्तों की चादर पर खामोशी आजकल पहरा देने लगी है बेबसी सी रहने लगी है दिल की जुबां पर घुटन बैठने लगी है प्रेम से बंधी...

ममतामयी माँ

बागों के नए कलियों सा आया था ,माँ तेरी कोख में। नन्ही सी मेरी सूरत पर तुमने अपना सब कुछ न्योछार दिया बरे जतन से...

कविता-मन की भाषा

शब्दो को साथ मिला कर , भावो को खूब जगा कर मालों मे सबको एक सजा कर , बनते है करुणा, दया, प्रेम,रौंद,दुःख-शोक, के माले जिसको कहते...

अल्फ़ाज़ हमारे

अल्फाज़ हमारे रोक नहीं पाओगे। जिंदगी को मुझसे छिन नहीं पाओगे मेरी कोशिश ही मेरा हक है इसे बेअसर तुम कर नहीं पाओगे डुबो...

सदैव प्रेम में रहा हूँ मैं।

सदैव प्रेम में रहा हूँ मैं| ----------------------------   वस्तुतः प्रेम नहीं किया मैंने, “करना” अस्वाभाविक है प्रेम हेतु, प्रेम में असहजता हेतु स्थान कहाँ, कदाचित जन्म से या उससे भी...

बाल गीत बाल संस्कार

बाल-गीत ??? बाल-संस्कार सुबह-सवेरे जल्दी उठकर, सेहत खूब बनाओ । नित्य काज जल्दी निपटाकर , और घूमने जाओ ।।1।। ?????? रोज नहाना, शाला जाना, जीवन शुभ बनाना । छेाटे नाखून, केश सुहाने , अच्छापन अपनाना...

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