मराठी के लेखक, समीक्षक, कवि एवं “सगुणा” पत्रिका के संपादक दयानंद कनकदंडे जी एक जीवनदानी सामाजिक कार्यकर्ता हैं l सामाजिक तथा अन्य विषयों पर उनका लेखन और अनुवाद अनेक मराठी पत्रिकाओं में प्रकाशित हुआ है l
कुन्नि पोशपोरा- कश्मीर घाटी के कपवारा ज़िले के दो जुड़वाँ गांव जहां 23 और 24 फ़रवरी 1991 की मध्य-रात्र को 68 ब्रिगेड से संबंधित 4-राजपुताना राइफल्स की एक टुकड़ी द्वारा लगभग एक सौ कश्मीरी लड़कियों/औरतों के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया।इनमें 80 साल की एक बूढ़ी औरत और 7 वर्ष की एक छोटी बच्ची भी थी। ३-"--------" इरोम शर्मिला की एक कविता की चन्द पंक्तियाँ।
महामारी के बाद
सन्नाटा ही सन्नाटा
भूख ही भूख
चीत्कार ही चीत्कार
महामारी के बाद
कुछ ही रहा शेष
सब बर्बाद !
जीवन भी गई
और गई व्यापारी
हाय रे महामारी
सब तरफ...