हेईग्रु हिडोंगबा मणिपुर के मैतै समुदाय का एक प्राचीन त्योहार है I यह त्योहार सितंबर महीने में मनाया जाता है I यह त्योहार आनंद का उत्सव है जिसका धार्मिक महत्व भी है I नाव दौड़ इस लोकप्रिय त्योहार का एक अभिन्न अंग है
कई अलग-अलग जनजातियाँ हैं जो अरुणाचल प्रदेश में निवास करती हैं और जो इसे विविध संस्कृतियों और परंपराओं का एक बड़ा मिश्रण बना देती है। ये विभिन्न जनजातियाँ कृषि, धार्मिक और सामाजिक, सांस्कृतिक उत्सव मनाती हैं, जहां वे नाचते, गाते, प्रार्थना करते हैं, एक समुदाय के रूप में आभार और भोज करते हैं।
बुंदेलखण्ड का लोक साहित्य बहुत ही विस्तृत है. सन् 1944 ई. में ओरछा के तत्कालीन महाराज के संरक्षण में लोकवार्ता परिषद की स्थापना टीकमगढ़ में हुई थी जिसने बुंदेलखण्ड के लोकगीतों, गाथाओं तथा मुहावरों के संकलन का कार्य वैज्ञानिक पद्धति से प्रारम्भ किया था. इस परिषद के तत्वावधान में लोकवार्ता नामक एक त्रैमासिक पत्रिका भी प्रकाशित होती थी
भारत में लोक साहित्य और पर्यावरण का संबंध आपको पूरे भारत में सभी राज्यों में भिन्न-भिन्न जाति जन-जातियों , धर्मों आदि में आपको इन दोनों का संबंध पूर्ण रूप से देखने को मिलेगा । इससे वंचित रह कर कोई भी व्यक्ति अपनी दैनिक कार्य हो या कोई विशेष कार्य वह अपनी कार्य की पूर्ति नहीं कर सकता । पर्यावरण का संबंध हर उस वस्तु जीव-जंतु प्रकृति से है जिसमें प्राण है ।
पूर्व एवं पूर्वोतर के आठ राज्यों में क्रमशः असम, नागालैंड, मणिपुर, मेघालय, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश, मिज़ोरम तथा सिक्किम भारतीय राज्य के कुछ ऐसे राज्य है जिनकी वर्तमान जानकारी समाचारों के माध्यम से भारत के नागरिकों को तो है किन्तु उनकी संस्कृति, भाषा उनके त्यौहार आदि के बारे में बहुत कम आधिकारिक जानकारी शेष भारत को उपलब्ध है। इन राज्यों का इतिहास भी अपने आप में एक रोचक विषय है। यहाँ के लोगो के जातीय ढांचे का अध्ययन तो विद्वानों ने किया है किन्तु मात्रसत्तात्मक वृति की रेखाएँ तो इन प्रांतो की यात्रा से ही पहचानी जा सकती हैं।