आधुनिक अवधी कवियों में वंशीधर शुक्ल ‘रमई काका’ गुरु प्रसाद सिंह ‘मृगेश’ राजेश दयालु ‘राजेश’ बल भद्र दीक्षित ‘पढ़ीस’ आद्या प्रसाद मिश्र ‘उन्मत्त’ द्वारिका प्रसाद मिश्र’ त्रिलोचन शास्त्री’, जुमई खॉ आजाद’ आद्याप्रसाद पीयूष’ जगदीश पीयूष’ सुशील सिद्धार्थ भारतेंदु मिश्र’ विशाल मूर्ति मिश्र’ विशाल’ निर्झर प्रताप गढ़ी’ दयाशंकर दीक्षित देहाती’ काका बैसवारी’ विकल गोंडवी’ लवकुश दीक्षित’ केदारनाथ मिश्र’ ‘‘चंचल’ अजमल सुल्तानपुरी’ सतीश आर्य’ अदम गोंडवी’ इत्यादि की सर्जनात्मक प्रतिभा ने अवधी को अभिव्यक्ति का नया अंदाज दिया है।
मई काका के साथ एक कवि थे, ‘सरोज’ नाम में था उनके। नये कवि थे, मशहूर थे। लेकिन रमई काका ज्यादा मशहूर थे। तब रमई काका की उमर रही होगी ३५-४० के बीच में। अच्छे दिखते थे, पतले थे। काली शेरवानी पहने थे। पान खाए हुए थे। उन्होंने काव्य-पाठ किया। उन्होंने जो कविताएँ पढ़ीं, तो उसकी पंक्तियाँ सभी को याद हो गईं।