विमर्श - हिन्दी में ‘विमर्श’ शब्द का प्रयोग अंग्रेजी के डिस्कोर्स (Discourse) शब्द के लिए किया जाता है। अस्मिता-विमर्श को अंग्रेजी में Identity Discourse कहते हैं। अंग्रेजी में Discourse शब्द का प्रयोग लिखित या वाचिक संप्रेषण या बहस के लिए किया जाता है। इसे हम ‘वाद-विवाद और संवाद’ भी कह सकते हैं। बहस या संप्रेषण के लिए कम से कम दो पक्षों का होना अनिवार्य है। इस विमर्श या संवाद से ही किसी किसी तर्क-संगत निष्कर्ष या निर्णय या ज्ञान पर पहुँचा जा सकता है। दुनिया में ज्ञान-सृजन की प्रक्रिया में प्राचीन काल से ही बहुपक्षीय विमर्शों की अहम भूमिका रही है। तात्पर्य यह कि विमर्श शब्द जागरुकता का परिचायक है और बिना जागरुकता के अस्मिता-बोध संभव नहीं है।
विरोधाभास -
विरोधाभास किसी व्यक्ति, समूह या संगठन पर तब आरोपित होता है जब उसके द्वारा व्यक्त किये गये कर्म अथवा लक्ष्य तथा उसके पुर्णता के लिए किये जा रहे प्रयास में स्पष्ट विलगाव, छिटकाव अथवा विपरित धारा परिलक्षित हो।
विरोधाभास दो प्रकार का होता सकता है
पहला वास्तविक विरोधाभास- इसमें वास्तव में व्यक्ति, समूह या संगठन अपने निर्धारित लक्ष्य से अपनी इच्छा अथवा मूर्खता से विपरित दिशा में चल पङते हैं।
दूसरा मिथ्या विरोधाभास- जैसे की कोई मां यह कहे की वह अपने पुत्र से बहुत प्यार करती है लेकिन उसका रवैया अपने पुत्र के प्रति कठोर रहे। ऐसे में यह मां अपने दूरदर्शिता के नाते विरोधी व्यवहार करते हुए भी कोई वास्तविक विरोध में नहीं खङी है।