अनेकार्थी शब्द

    0
    19

    अनेकार्थी शब्द

    ऐसे शब्द, जिनके अनेक अर्थ होते है, अनेकार्थी शब्द कहलाते है।
    दूसरे शब्दों में- जिन शब्दों के एक से अधिक अर्थ होते हैं, उन्हें ‘अनेकार्थी शब्द’ कहते है।
    अनेकार्थी का अर्थ है – एक से अधिक अर्थ देने वाला।

    यहाँ कुछ प्रमुख अनेकार्थी शब्द दिया जा रहा है।

    ( अ, उ )

    अपवाद- कलंक, वह प्रचलित प्रसंग, जो नियम के विरुद्ध हो।
    अतिथि- मेहमान, साधु, यात्री, अपरिचित व्यक्ति, यज्ञ में सोमलता लाने वाला, अग़्नि, राम का पोता या कुश का बेटा।
    अरुण- लाल, सूर्य, सूर्य का सारथी, इत्यादि ।
    आपत्ति- विपत्ति,एतराज।
    अपेक्षा- इच्छा, आवश्यकता, आशा, इत्यादि।
    आराम- बाग, विश्राम, रोग का दूर होना।
    अंक- भाग्य, गिनती के अंक, नाटक के अंक, चिन्ह संख्या, गोद।
    अंबर- आकाश,अमृत, वस्त्र।
    अनंत- आकाश, ईश्वर, विष्णु, अंतहीन, शेष नाग।
    अर्थ- मतलब, कारण, लिए, भाव, अभिप्राय, धन, आशय, प्रयोजन।
    अवकाश- छुटटी, अवसर, अंतराल
    आम- आम का फल, सर्वसाधारण, मामूली, सामान्य।
    अन्तर- शेष, दूरी, हृदय, भेद।
    अधर- धरती (आकाश के बीच का स्थान), पाताल, नीचा, होंठ।
    आराम- विश्राम, निरोग होना।
    उत्तर- उत्तर दिशा, जवाब, हल, अतीत, पिछला, बाद का इत्यादि।

    ( क )

    कर- हाथ, टैक्स, किरण, सूँड़ ।
    काल- समय, मृत्यु, यमराज।
    कला- अंश, किसी कार्य को अच्छी तरह करने का कौशल।
    कर्ण- कर्ण (नाम), कान।
    कुशल- खैरियत, चतुर ।
    कल- बीता हुआ दिन, आने वाला दिन, मशीन।
    कर्ण- कर्ण (नाम), कान।
    काम- वासना, कामदेव, कार्य, पेशा, धंधा।
    कनक- सोना, धतूरा, गेंहूँ।
    कुशल- खैरियत, चतुर ।

    ( ख, ग )

    खग- पक्षी, तारा, गन्धर्व, बाण।
    खर- दुष्ट, गधा, तिनका, एक राक्षस।
    खल- दुष्ट, धतूरा, दवा कूटने का खरल।
    गण- समूह, मनुष्य, भूतप्रेतादि, शिव के गण, पिंगल के गण।
    गुरु- शिक्षक, ग्रहविशेष, श्रेष्ठ, बृहस्पति, भारी, बड़ा, भार।
    गो- बाण, आँख, वज्र, गाय, स्वर्ग, पृथ्वी, सरस्वती, सूर्य, बैल, इत्यादि।
    गुण- कौशल, शील, रस्सी, स्वभाव, धनुष की डोरी।
    गति- चाल, दशा, मोक्ष, हालत।

    ( घ, ज )

    घन- बादल, अधिक, घना, गणित का घन, पिण्ड, हथौड़ा ।
    जलज- कमल, मोती, शंख, मछली, चन्द्रमा, सेवार।
    जाल- फरेब, बुनावट, जाला।
    जीवन- जल, प्राण, जीवित।
    जलधर- बादल, समुद्र।
    जड़- मूल, मूर्ख।
    ज्येष्ठ (जेठ)- पति का बड़ा भाई, बड़ा, हिन्दी महीना।

    ( त, द )

    तीर- बाण, किनारा, तट।
    तारा- आँख की पुतली, नक्षत्र, बालि की स्त्री, बृहस्पति की स्त्री।
    दंड- सज़ा, डंडा, एक व्यायाम।
    दल- समूह, सेना, पत्ता, हिस्सा, पक्ष, भाग, चिड़ी।
    द्रव्य- वस्तु, धन।

    ( घ, न )

    धन- सम्पति, योग।
    धर्म- प्रकृति, स्वभाव, कर्तव्य, सम्प्रदाय।
    नाग- हाथी, साँप।
    नग- पर्वत, वृक्ष, नगीना।
    निशाचर- राक्षस, प्रेत, उल्लू, चोर।

    ( प, फ, ब, म )

    पद- चरण, शब्द, पैर, स्थान, ओहदा, कविता का चरण।
    पानी- जल, चमक, इज्जत ।
    पक्ष- पन्द्रह दिन का समय, ओर, पंख, बल, सहाय, पार्टी।
    पत्र- पत्ता, चिठ्ठी, पंख।
    पृष्ठ- पीठ, पत्रा, पीछे का भाग।
    प्रभाव- सामर्थ्य, असर, महिमा, दबाव।
    पतंग- सूर्य, पक्षी, टिड्डी, फतिंगा, गुड्डी।
    पय- दूध, पानी।
    फल- लाभ, मेवा, नतीजा, भाले की नोक।
    बल- सेना, शक्ति।
    बलि- राजा बलि, बलिदान, उपहार, कर इत्यादि।
    मुद्रा- मुहर, आकृति, धन।

    ( भ, म )

    भाग- हिस्सा, विभाजन, भाग्य।
    मान- इज्जत, अभिमान, नाप-तौल।
    मत- राय, वोट, नही।
    मधु- शहद, शराब, मीठा, वसन्तऋतु।
    मित्र- सूर्य, दोस्त।
    महावीर- हनुमान, बहुत बलवान्, जैन तीर्थकर।
    मूक- गूँगा, चुप, विवश।

    ( य, र, ल, व )

    योग- नियम, उपाय, मिलन, जोड़। राशि- समूह, मेष, कर्क, आदि राशियाँ।
    रस- प्रेम, काव्य के नौ रस, स्वाद, सार।
    लक्ष्य- निशाना, उद्देश्य।
    वर- दूल्हा, वरदान, श्रेष्ट।
    वर्ण- जाति, रंग, अक्षर।
    विग्रह- लड़ाई, शरीर, देवता की मृर्ति।
    विषम- जो सम न हो, भीषण, बहुत कठिन।
    वन- जंगल, जल।
    विरोध- वैर, विपरीत भाव।
    विधि- कानून, रीति, ईश्वर, भाग्य, ढंग।
    विजया- दुर्गा, भाँग।
    वार- प्रहार, बारी, दिन।

    ( श, स )

    शिव- मंगल, महादेव, भागयशाली।
    शुद्ध- पवित्र, ठीक, जिसमें मिलावट न हो।
    सर- तालाब, सिर, पराजित।
    सेहत- सुख, स्वास्थ्य। रोग से छुटकारा।
    सुधा- अमृत, पानी।
    संज्ञा- नाम, चेतना।
    शक्ति- देवी, योग्यता, प्रभाव, बल।
    सारंग- हाथी, कोयल, कामदेव, सिंह, धनुष भौंरा, मधुमक्खी, कमल।
    स्थूल- मोटा, सहज में दिखाई देने या समझ में आने योग्य।
    स्नेह- प्रेम, तेल, चिकनाई।

    ( ह )

    हार- आभूषण, पराजय।
    हंस- प्राण, पक्षिविशेष।
    हस्ती- हाथी, अस्तित्व।
    हरकत- गति, चेष्टा, नटखटपन।
    हीन- रहित, दीन, निकृष्ट।
    हरि- हाथी, विष्णु, पहाड़, सिंह, इन्द्र, घोड़ा, सर्प, बन्दर, वानर, मेढ़क, यमराज, शिव, कृष्ण, किरण, कोयल, हंस।

    पिछला लेखयुग्म-शब्द
    अगला लेखविराम चिह्न
    हिंदी प्रेमियों को समर्पित अंतरराष्ट्रीय मंच है. इस मंच का कार्य विश्व में हिंदी भाषा के विकास हेतु समर्पित हिंदी सेवियों विश्व हिंदी संस्थानों इत्यादि के कार्य को सभी हिंदी प्रेमियों तक पहुंचाना है