विश्वहिंदीजन के यूट्यूब चैनल को सस्क्राईब करें (लाल बटन को दबाएँ)
[elfsight_youtube_gallery id=”2″]
उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग, प्रयागराज
अनुक्रम
- 1 उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग, प्रयागराज
- 2 हिन्दी विषय पाठ्यक्रम एवं अध्ययन सामाग्री
- 2.1 1. हिंदी भाषा का इतिहास :
- 2.2 2. नागरी लिपि का इतिहास विकास :
- 2.3 3. हिन्दी विस्तारीकरण के वैयक्तिक एवं संस्थागत प्रयास :
- 2.4 4. हिंदी साहित्य का इतिहास :
- 2.5 5. हिंदी साहित्य की गद्य विधाएँ :
- 2.6 6. साहित्यशास्त्र और आलोचना :
- 2.7 7. हिंदी आलोचना के पारिभाषिक शब्द और कतिपय अवधारणाएँ :
- 2.8 8. हिंदी काव्य :
- 2.9 9. कथा साहित्य :
- 2.10 10. कथेतर गदय विधाएँ :
- 3 पाठ्यक्रम से संबधित अन्य महत्वपूर्ण सामग्री
हिन्दी विषय पाठ्यक्रम एवं अध्ययन सामाग्री
यहाँ उत्तर प्रदेश उच्चतर शिक्षा सेवा आयोग, प्रयागराज द्वारा आयोजित हिन्दी विषय में सहायक प्रोफेसर नियुक्ति हेतु लिखित परीक्षा का सम्पूर्ण पाठ्यक्रम, उनमें शामिल रचनाएँ एवं संबधित महत्वपूर्ण सामग्री एक जगह प्राप्त कर सकते हैं। सम्पूर्ण पाठ्यक्रम को मूल रूप में ही रखा गया है। पाठ्यक्रम में शामिल विषय एवं रचनाओं पर क्लिक करने पर आप उसकी पीडीएफ डाउनलोड कर सकते हैं साथ ही उसे पढ़ सकते हैं। सामग्री का संकलन विभिन्न मंचों के माध्यम से किया गया है।
नोट: आसमानी रंग वाली पंक्तियों पर क्लिक करके आप सहायक सामग्री प्राप्त करें।
1. हिंदी भाषा का इतिहास :
हिंदी की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि :-
- प्राचीन भारतीय आर्य भाषाएँ, मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाएँ और उनके अंतरसंबंध, अपभ्रंश, अवहट्ट (पुरानी हिंदी) का संबंध, आधुनिक भारतीय आर्य भाषाएँ और उनका वर्गीकरण, हिंदी का भौगोलिक विस्तार, आरंभिक हिंदी का व्याकरणिक तथा अनुप्रयुक्त रूप, हिंदी की उपभाषाएँ और बोलियाँ – वर्गीकरण तथा क्षेत्र, प्रारंभिक हिंदी के विविध रूप- हिंदी, उर्दू, हिंदुस्तानी, दखिनी हिंदी; काव्यभाषा के रूप में अवधी का उदय और विकास, काव्यभाषा के रूप में ब्रजभाषा का उदय और विकास, साहित्यिक हिंदी के रूप में खड़ी बोली हिंदी का उदय और विकास
- मानक हिंदी का भाषावैज्ञानिक विवरण( रूपगत) : हिंदी की स्वनिम व्यवस्था, हिंदी ध्वनियों के वर्गीकरण का आधार, हिंदी शब्द रचना- उपसर्ग, प्रत्यय, हिंदी की रूप रचना- लिंग, वचन, कारक व्यवस्था के संदर्भ में संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया रूप, हिंदी वाक्य रचना
- हिंदी भाषा प्रयोग के विविध रूप : बोली, मानकभाषा, राजभाषा, राष्ट्रभाषा, संपर्क भाषा, संचार भाषा
- प्रयोजनमूलक हिन्दी की संवैधानिक स्थिति और भारतीय संघ की राजभाषा के रूप में हिंदी का विकास
2. नागरी लिपि का इतिहास विकास :
- नागरी लिपि का उद्भव और विकास,
- नागरी लिपि की विशेषताएं एवं मानकीकरण,
- कंप्यूटर और देवनागरी लिपि से संबंधित सुविधाएँ एवं सॉफ्टवेयर
- यूनिकोड
3. हिन्दी विस्तारीकरण के वैयक्तिक एवं संस्थागत प्रयास :
- स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान राष्ट्रभाषा के रूप में हिंदी का विकास,
- हिंदी प्रसार के आंदोतन, प्रमुख व्यक्तियों एवं संस्थाओं का योगदान,
- हिंदी से संबंधित सरकारी संस्थाएँ एवं विभाग,
- सम्मान,
- पुरस्कार
- पत्र पत्रिकाएँ
- हिंदी के जनमाध्यम
- हिंदी पोर्टल एवं वेबपटल
4. हिंदी साहित्य का इतिहास :
- साहित्य का इतिहास दर्शन, हिंदी साहित्य के इतिहास लेखन की पद्धतियाँ, हिंदी साहित्य के प्रमुख इतिहास ग्रंथ एवं उनकी विशेषताएँ, हिंदी साहित्य इतिहास का काल विभाजन और नामकरण,
- आदिकाल :-
- आदिकालीन साहित्य की सामाजिक-सांस्कृतिक-धार्मिक पृष्ठभूमि, धार्मिक साहित्य- सिद्ध, जैन, नाथ साहित्य, त्रौकिक साहित्य- रासो काव्यधारा, श्रृंगारिक काव्यधारा, अमीर खुसरो की कविता
- भक्तिकाल :-
- भक्ति आंदोलन की पृष्ठभूमि और उसके उदय के सामाजिक-सांस्कृतिक कारण- विविध दृष्टि, भक्ति आंदोलन का अखिल भारतीय स्वरूप और उसका अंतप्रादेशिक वैशिष्ट्य, भक्तिकाव्य के प्रमुख दार्शनिक सिदधांत- विशिष्टादवैत, शुद्धादवैत, दवैतादवैत, दवैत मत, भक्ति काव्य के भेद, हिंदी संत काव्य परंपरा और उसका वैचारिक आधार, संत काव्य में सामाजिक समरसता, हिंदी की सूफी काव्य परंपरा, हिन्दी के असूफी प्रेमाख्यान
- रीतिकाल :-
- रीतिकाल की सामाजिक सांस्कतिक पृष्ठभूमि, रीतिकालीन साहित्य की प्रमुख प्रवत्तियाँ, रीतिबद्ध, रीतिसिदध, रीतिमुक्त काव्य, रीति काव्य के प्रमुख स्रोत, रीतिकालीन कवियों का आचार्यत्व, रीतिकाल्र के प्रमुख कवि और उनका काव्य, रीति काव्य में लोकजीवन, रीतिकाव्य का अस्मितामूलक गूलक विमर्श
- आधुनिक काल :-
- हिंदी गद्य का उद्भव और विकास, भारतेंदु पूर्व हिंदी गद्य, भारतेंदुकालीन हिंदी गद्य, भारतेंदु और उनका मंडल, भारतेंदु मंडल्र के बाहर के लेखक, पारसी थियेटर और हिंदी रंगमंच, हिंदी पत्रकारिता का आरंभ और 9वीं शताब्दी की हिंदी पत्रकारिता
- द्विवेदी युग:- महावीर प्रसाद द्विवेदी और उनका युग, हिंदी नवजागरण और सरस्वती, राष्ट्रीय काव्यधारा के प्रमुख कवि, स्वच्छंदतावाद और उसके प्रमुख कवि, दविवेदीयुगीन हिंदी पत्रकारिता, द्विवेदीयुगीन हिंदी गद्य का वैशिष्ट्य
- छायावाद:- छायावाद की सांस्कृतिक-सामाजिक-दार्शनिक पृष्ठभूमि, छायावाद का आरंभ, छायावाद के विषय में विभिन्न मत, छायावाद की प्रमुख विशेषताएँ, छायावाद के प्रमुख कवि, प्रगतिवाद की अवधारणा, प्रगतिवादी काव्य और उसके प्रमुख कवि
- प्रयोगवाद और नई कविता: प्रमुख कवि
- समकालीन कविता
5. हिंदी साहित्य की गद्य विधाएँ :
- हिंदी उपन्यास : उपन्यास की अवधारणा, प्रेमचंद पूर्व उपन्यास, प्रेमचंद और उनका युग, प्रेमचंद के परवर्ती उपन्यासकार, स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी उपन्यास
- हिंदी कहानी : हिंदी कहानी का उदूभव और विकास, हिंदी कहानी के प्रमुख आंदोलन, कहानी और नई कहानी, हिंदी कहानी की प्रमुख प्रवृतियां,
- हिंदी नाटक : हिंदी नाटक और रंगमंच, भारतीय नाट्य परंपरा और नाट्यशास्त्र का संक्षिप्त परिचय, हिंदी नाटक के विकास के चरण, भारतेंदु युग पूर्व के नाटक, भारतेंदु युग के नाटक, प्रसाद युग और प्रसादोत्तर युग के नाटक, स्वातंत्र्योत्तर युग के नाटक, हिंदी एकांकी, हिंदी के प्रमुख एकांकीकार
- हिंदी निबंध : हिन्दी निबंध का विकास, हिंदी निबंध की मूलभूत विशेषताएँ, हिन्दी निबंध के प्रमुख भेद, हिन्दी के प्रमुख निबंधकार,
- हिंदी आलोचना : हिंदी आलोचना का उद्भव और विकास, हिंदी के प्रमुख आलोचक और आल्रोचनात्मक स्थापनाएँ
- हिंदी की कथेतर गद्य विधाएँ : संस्मरण, रेखाचित्र, जीवनी, आत्मकथा, रेडियो एकांकी, डायरी, रिपोर्ताज, साक्षात्कार, यात्रा साहित्य, पत्र साहित्य, ब्लॉग लेखन (चिट्ठाकारिता )
6. साहित्यशास्त्र और आलोचना :
- काव्यशास्त्र :-काव्य के लक्षण, काव्य प्रयोजन, काव्यहेतु, काव्य दोष, काव्य गुण, काव्य के रूप,
- काव्य के प्रमुख संप्रदाय एवं सिद्धांत- रस, अलंकार, रीति , ध्वनि, वक्रोक्ति, औचित्य
- रस निष्पत्ति, साधारणीकरण, भरतमुनि का रस सूत्र और उसके प्रमुख व्याख्याकार, रस के अवयव, भेद
- शब्द शक्तियाँ
- अलंकार- अनुप्रास, यमक, वक्रोक्ति, श्लेष, उपमा, रूपक, उत्प्रेक्षा, संदेह, भ्रांतिमान, अतिशयोक्ति, अन्योक्ति, समासोक्ति, अत्युक्ति, विशेषोक्ति, विभावना, प्रतीप, व्यतिरेक, अर्थातरन्यास, असंगति, विरोधाभास, तद्गुण, अतद्गुण, मीलित, उन्मीलित, अपन्हुति
- प्लेटो के काव्य सिद्धांत
- अरस्तु की काव्य विषयक मान्यताएँ, त्रासदी के तत्व, अनुकरण सिद्धांत, विरेचन का सिद्धांत, त्रासदी और महाकाव्य में अंतर,
- होरेस: काव्य विषयक मान्यताएं
- लोंजाइनस: काव्य में उदात्त तत्व
- शास्त्रीयतावाद और स्वच्छंदतावाद
- क्रोचे का अभिव्यंजनावाद
- आई. ए. रिचईस और टी. एस. इलियट के काव्य सिद्धांत
- नई समीक्षा
7. हिंदी आलोचना के पारिभाषिक शब्द और कतिपय अवधारणाएँ :
- काव्यभाषा, बिंब, मिथक, कल्पना, फैंतेसी, निजंधरी कथा, कविसमय, काव्यरूढ़ि
- प्रतिभा, व्युत्पत्ति, अभ्यास, अनुभूति अप्रस्तुत योजना, संकेतग्रह, बिम्बग्रहण, आनंद की साधनावस्था और सिद्धावस्था, शीलदशा, भावदशा, ल्रोकमंगल, प्रत्यक्ष रूपविधान, स्मृत रूपविधान, कल्पित रूपविधान, भाव एवं मनोविकार, ज्ञानात्मक संवेदना और संवेदनात्मक ज्ञान, लाक्षणिक मूर्तिमत्ता, उपचार वक्रता, आदर्शोन्मुख यथार्थ, विरुद्धों का सामंजस्य, लघु मानव, मानोमयकोश, आलंबनत्व धर्म, अनुभूति, कल्पना, चेतना प्रवाह, रूप, कथ्य, सहदय,
- विडंबना(आयरोनी), अजनबीपन(एलियनेशन), विसंगति (एब्सर्ड), अंतर्विरोध(पैराडॉक्स), संत्रास, विरोधाभास, विपथन उत्तरआधुनिकता, मार्क्सवाद, मनोविश्लेषणवाद, अस्तित्ववाद, यथार्थवाद, आदर्शवाद, अतियथार्थवाद, मानववाद, प्रभाववाद, आधुनिकतावाद, संरचनावाद, रूपवाद, अस्मितामूलक विमर्श (दल्नित, स्त्री, आदिवासी, थर्ड जेंडर)
- पुनर्जागरण, गांधीवाद, अंबेडकर दर्शन, लोहिया दर्शन, एकात्म मानववाद, सांस्कृतिक आलोचना
- हिंदी के प्रमुख आलोचक और उनकी आलोचनात्मक स्थापनाएँ
- प्रमुख रचनाकार और रचनाएँ
8. हिंदी काव्य :
- गोरखवाणी, संपादक – पीतांबर दत्त बड़थ्वाल,, पद संख्या – , 6, 7, 9, 10, 2, 4, 5, 7, 28, 30, 32, 33, 36, 46, 5, 52, 54, 55, 57, 68, 69, 9, 23, 53
- विद्यापति : विद्यापति पदावली, संपादक – रामफेर त्रिपाठी, पद संख्या -, 2, 4, 6, 9, 0, 5, 20, 23, 33, 34, 36, 23, 239, 24, 25, 252, 254, 27, 274
- कबीर : कबीर वाणी पीयूष, संपादक – जयदेव सिंह, वासुदेव सिंह, सुमिरन को अंग, विरह को अंग, परचा को अंग, सहज को अंग, पद- 2, 3, 6, 7, 8, 9, 0, 1, 2, 3, 4
- जायसी : जायसी ग्रंथावली, संपादक – रामचंद्र शुक्ल, नख-शिख खंड और नागमती वियोग खंड
- सूरदास : भ्रमरगीत सार, संपादक – रामचंद्र शुक्ल, पद संख्या 21 से 70 तक
- तुलसीदास : रामचरितमानस – उत्तरकांड, गीता प्रेस, गोरखपुर
- मीराबाई : संपादक विश्वनाथ त्रिपाठी- आरंभ के 20 पद
- रहीम : रहीम रचनावली, संपादक – सत्यप्रकाश मिश्र, दोहावली- 4, 3, 4, 6, 22, 23, 25, 27, 30, 3, 32,
- 35, 37, 40, 43, 44, 5, 63, 67, 72, 74, 75, 77, 89, 9, 24, 58, 68, 75, 209, 24, 29, 224, 225,
- 232, 239, 242, 243, 289, 290 (40 दोहे)
- केशव : केशवदास – केशव कौमुदी, भाग , टीकाकार – लाला भगवान दीन,
- पांचवाँ प्रकाश – छंद संख्या 0, 3, 4, 6, 7, 9, 22, 24, 3, 36, 38, 42, ग्यारहवाँ प्रकाश – 7, 8, 26, तेरहवाँ प्रकाश – 22, 53, 85, सोलहवाँ प्रकाश – 4, 6, 7, ], 2, 3, 24
- बिहारी : बिहारी, संपादक – विश्वनाथ प्रसाद मिश्र, दोहा संख्या- 5, 8, , 2, 29, 33, 34, 37, 4, 43, 55, 84, 96, 31, 34, 63, 82, 85, 99, 23, 25, 224, 235, 347, 263, 265, 326, 358, 367, 390, 403, 409, 436, 437, 440, 467, 525, 534, 539, 558 (40 दोहे)
- भूषण : भूषण ग्रंथावली, संपादक – विश्वनाथ प्रसाद मिश्र , पद संख्या – 50, 53, 55, 61, 62, 76, 78, 83, 92,
- 00, 274, 82, 95, 23, 23, 233, 323, 45, 420, 42 (20 छंद)
- रसखान: रसखान रचनावली (सं० विद्यानिवास [यानिवास मिश्र, सत्यदेव मिश्र) – सुजान रसखान – सवैया – 1, 2, 3, 5, 8, 2, 3, 8, 21, 27, 3, 32, 37, 4, 5, 53, 55, 56, 6, 63
- घनानंद : घनानंद कवित्त (सं० विश्वनाथ प्र० मिश्र), कवित्त सं० से 30 तक
- मैथिलीशरण गुप्त : साकेत, नवम् सर्ग
- जयशंकर प्रसाद : कामायनी – आशा, श्रद्धा, लज्जा सर्ग
- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला : राम की शक्ति पूजा, जागो फिर एक बार( भाग 2), भारती जय विजय करे, वर दे वीणा वादिनी वर दे
- सुमित्रानंदन पंत : प्रथम रश्मि, नौका विहार, संध्या, एक तारा, भारत माता, द्रुत झरो जगत के जीर्ण पत्र
- महादेवी वर्मा : दीपशिखा (दीप मेरे जल अकम्पित, पंथ रहने दो अपरिचित, मैं न यह पथ जानती थी, सब आँखों के आँसू उजले, सब के सपनों में सत्य पत्ना), सांध्य गीत (मैं नीर भरी दुख की बदली, दीप तेरा दामिनी, देव अब वरदान कैसा)
- सच्चिदानंद वात्स्यायन ‘अज़ेय’ : असाध्य वीणा, नदी के द्वीप
- गजानन माधव “मुक्तिबोध’ : अंधेरे में
- रामधारी सिंह ‘दिनकर’ : रेणुका (हिमालय), सामधेनी (आग की भीख, दिल्ली और मास्को, जयप्रकाश, राही और बाँसुरी, सिंहासन ख़ाली करो कि जनता आती है, कलम आज उनकी जय बोल)
- नागार्जुन : हज़ार हज़ार बाँहों वाली, अकाल और उसके बाद, गुलाबी चूड़ियाँ, बादल को घिरते देखा है, कालिदास
- शमशेर बहादुर सिंह : भारत की आरती, एक पीली शाम, शाम होने को हुई, निराला के प्रति, एक नीला आइना बेठोस, दूब
- केदारनाथ अग्रवाल : मेरी धरती और मैं, प्यासी धरती की पुकार, सुनता है बादल, जागरण की कामना, निराला के प्रति, माँझी न बजाओ बंशी, किसान से
- भवानी प्रसाद मिश्र : गीत फरोश, सतपुड़ा के जंगल
- सुदामा पाण्डे “धूमिल’: मोचीराम, जनतंत्र के सूर्योदय में सच्ची बात
9. कथा साहित्य :
- हिंदी उपन्यास :
- प्रेमचंद – गोदान
- चतुरसेन शास्त्री – वयम रक्षाम:
- वृंदावनल्लाल वर्मा – विराटा की पद्मिनी
- हज़ारी प्रसाद द्विवेदी – पुनर्नवा
- सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन अजेय: नदी के द्वीप
- फणीश्वरनाथ रेणु – मैला आंचल
- भगवती चरण वर्मा – भूल्ले बिसरे चित्र
- शिव प्रसाद सिंह – नीला चाँद
- अमृतलाल नागर – मानस का हंस
- यशपात्र – झूठा सच
- श्रीलाल शुक्ल – राग दरबारी
- भीष्म साहनी: वसंती
- मन्नू भंडारी – आपका बंटी
- कहानी :
- प्रेमचंद – दुनिया का अनमोल्र रतन, कफन
- राजा राधिकारमण प्रसाद सिंह – कानों में कंगना
- विश्वम्भरनाथ शर्मा ‘कौशिक’ – ताई
- चन्द्रधर शर्मा गुलेरी – उसने कहा था
- जयशंकर प्रसाद – आकाशदीप
- जैनेन्द्र – पत्नी
- फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ – लालपान पान की बेगम, रसप्रिया
- सच्चिदानन्द वात्स्यायन अजेय – रोज, शरणदाता
- भीष्म साहनी – चीफ की दावत
- उषा प्रियंवदा – वापसी
- निर्मल वर्मा – परिंदे
- कमलेश्वर – दिल्ली में एक मौत
- राजेन्द्र यादव – जहाँ लक्ष्मी कैद है
- मोहन राकेश – मलबे का मालिक
- हिंदी नाटक :
- भारतेंदु हरिश्चंद्र – अंधेरी नगरी
- जयशंकर प्रसाद – चंद्रगुप्त
- धर्मवीर भारती – अंधा युग
- लक्ष्मीनारायण ताल – सिंदूर की होली
- मोहन राकेश – आषाढ़ का एक दिन
- उपेंद्रनाथ “अश्क’ – अंजो दीदी
10. कथेतर गदय विधाएँ :
- हिंदी निबंध :
- भारतेंदु हरिश्चंद्र – भारतवर्षोननति कैसे हो सकती है, वैष्णतता और भारतवर्ष
- प्रताप नारायण मिश्र- आप, धोखा
- बालकृष्ण अट्ट- साहित्य जन समूह के हृदय का विकास है
- बालमुकुंद गुप्त – शिव शंभू के चिट्ठे
- चंद्रधर शर्मा गुलेरी – धर्म और समाज
- महावीर प्रसाद द्विवेदी – कवि कर्तव्य
- सरदार पूर्ण सिंह – आचरण की सभ्यता
- रामचन्द्र शुक्त्र – श्रद्धा और भक्ति
- जीवनी :
- विष्णु प्रभाकर – आवारा मसीहा
- संस्मरण :
- विष्णुकान्त शास्त्री – सुधियाँ उस चन्दन के वन की
- यात्रा साहित्य :
- निर्मल वर्मा – चीड़ों पर चांदनी
- रेखाचित्र :
- महादेवी वर्मा – मेरा परिवार
- रिपोतार्ज :
- फणीश्वर नाथ ‘रेणु’ – ऋणजल धनजल
- डायरी :
- रमेशचन्द्र शाह – अकेला मेला
- साक्षात्कार :
- बनारसीदास चतुर्वेदी – प्रेमचंद के साथ दो दिन
- पत्र साहित्य :
- जानकी वल्लभ शास्त्री – निराला के पत्र
- अमृत राय – चिट्ठी पत्री
पाठ्यक्रम से संबधित अन्य महत्वपूर्ण सामग्री
हिंदी साहित्य का आदिकाल- हजारी प्रसाद द्विवेदी, बिहार राष्ट्रभाषा परिषद, पटना
हिंदी साहित्य की भूमिका: हजारीप्रसाद द्विवेदी
हिंदी साहित्य का इतिहास, रामचन्द्र शुक्ल, नागरीप्रचारिणी सभा, वाराणासी
साहित्य का इतिहास दर्शन: नलिन विलोचन शर्मा
हिंदी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास: रामकुमार वर्मा
हिंदी साहित्य का अतीत (भाग 1, 2): विश्वनाथ प्रसाद मिश्र
हिंदी साहित्य का इतिहास: पूरनचंद टंडन, विनीता कुमारी
रीतिकाव्य की भूमिका- डॉ. नगेन्द्र, नेशनल पब्लिशिंग हाउस, दिल्ली
अप्रभ्रंश साहित्य: हरिवंश कोछड़
भाषा विज्ञान की भूमिका -देवेन्द्रनाथ शर्मा, राधाकृष्ण, दिल्ली
भाषा विज्ञान- भोलानाथ तिवारी, किताब महल, इलाहाबाद
सूरदास- भ्रमरगीत- संपादक रामचन्द्र शुक्ल,
विद्यापति- विद्यापति की पदावली, संपा. रामवृक्ष बेनापुरी
पृथ्वीराज रासो (कयमास वध: कथासार), चंदरवरदायी
हिंदी साहित्य के इतिहास पर कुछ नोट्स: रसाल सिंह
पृथ्वीराज रासो: (सं) माता प्रसाद गुप्त
विद्यापति की पदावली: (सं) रामवृक्ष बेनीपुरी
जायसी-ग्रंथावली: रामचन्द्र शुक्ल (सं.)
भ्रमरगीतसार: रामचन्द्र शुक्ल (सं.)
विनय पत्रिका: (सं.) वियोगी हरि
गोस्वामी तुलसीदास: रामचंद्र शुक्ल
तुलसी आधुनिक वातायन से: रमेश कुंतल मेघ
लोकवादी तुलसीदास: विश्वनाथ त्रिपाठी
तुलसी काव्य-मीमांसा: उदयभानु सिंह
नाथ संप्रदाय: हजारीप्रसाद द्विवेदी
हिंदी के विकास मे अपभ्रंश का योग: नामवर सिंह
पृथ्वीराज रासो की भाषा: नामवर सिंह
प्राकृत-अपभ्रंश साहित्य और उसका हिंदी पर प्रभाव: राम सिंह तोमर
गोरखनाथ और उनका युग: रांगेय राघव
गोस्वामी तुलसीदास: रामचंद्र शुक्ल
तुलसी आधुनिक वातायन से: रमेश कुंतल मेघ
लोकवादी तुलसीदास: विश्वनाथ त्रिपाठी
तुलसी काव्य-मीमांसा: उदयभानु सिंह
सूर साहित्य: हजारी प्रसाद द्विवेदी
महाकवि सूरदास: नंद दुलारे वाजपेयी
सूर और उनका साहित्य: हरवंशलाल शर्मा
कबीर की विचारधरा: गोविंद त्रिगुणायत
कबीर साहित्य की परख: परशुराम चतुर्वेदी
अनामिका: निराला (राम की शक्तिपूजा, सरोजस्मृति)
जयशंकर प्रसाद – नंददुलारे वाजपेयी, भारती भंडार, इलाहाबाद
कामायनी – एक पुनर्विचार – मुक्तिबोध, राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली
निराला की साहित्य साधना खंड 1, निराला की साहित्य साधना खंड – 2, निराला की साहित्य साधना खंड 3
महादेवी वर्मा: जगदीश गुप्त, नई दिल्ली, 1994
चिंतामणि (भाग एक): रामचंद्र शुक्ल (केवल छह निबंध – भाव या मनोविकार, करुणा, लोभ और प्रीति, कविता क्या है, लोकमंगल की साधनावस्था, रसात्मक बोध के विविध रूप)
[नोट: अन्य सामग्री को भी शीघ्र ही साझा किया जाएगा। मंच से जुड़े रहें ताकि परीक्षा से संबधित अन्य सामग्री भी आपको मिल सके। यदि आप अपने मंच को विश्वहिंदीजन से जोड़ना चाहते हैं तो कमेन्ट बॉक्स में लिंक एवं परिचय दें ]