मिजोरम और मणिपुर की थडोऊ जनजाति (Thadou Tribe)

थडोऊ मिजोरम की एक महत्वपूर्ण जनजाति है I मणिपुर में भी इनकी अच्छी खासी आबादी निवास करती है I इसे ‘थाडो’ भी कहा जाता है I वेलोग ‘चोंगथु’ को अपना पूर्वज मानते हैं I इनका विश्वास है कि इनके आदि पुरुष ‘चोंगथु’ पृथ्वी के गर्भ से निकले थे I थडोऊ समुदाय को मिजोरम का मूल निवासी माना जाता है I वे लोग मिजोरम के उत्तर-पूर्वी भाग में बसे हुए हैं I मिजोरम के समीपवर्ती भूभाग में मणिपुर में भी इनकी बसावट है I थडोऊ समुदाय के गाँव घने जंगल और पहाड़ों के बीच स्थित हैं जहाँ भरपूर वर्षा होती है I उस क्षेत्र में सालों भर मौसम सुहाना बना रहता है I इस समुदाय के पास अपनी थडाऊ भाषा है, लेकिन कोई लिपि नहीं है I लिपि के रूप में वे रोमन लिपि का प्रयोग करते हैं I शिक्षित लोग अंग्रेजी और हिंदी भी बोलते हैं I चावल थडोऊ समुदाय का मुख्य भोजन है I येलोग मांसाहारी होते हैं I वे अंडा, मछली, सूअर, बकरी, मुर्गी, भैंस आदि जानवरों के मांस खाते हैं I वे दाल खाते हैं तथा खाना पकाने में कभी– कभी सरसों तेल या चर्बी का उपयोग करते हैं I वे बैगन, आलू, टमाटर, बाँस की कोंपल, हरा चना, केले का तना, जंगली कंद-मूल आदि की सब्जियां खाते हैं I वे फल भी खाते हैं I वे दूध और दुग्ध उत्पाद का बहुत कम उपयोग करते हैं I वे घर में बनी चावल की मदिरा (जू) का नियमित सेवन करते हैं तथा पान, तम्बाकू और सिगरेट भी पीते हैं I मदिरा घर में बनाई जाती है I झूम खेतों में तंबाकू का उत्पादन किया जाता है I अनेक लोग निकोटीन जल भी पीते हैं I थडोऊ समाज नौ गोत्रों में विभक्त है जिनके नाम हैं–सित्तलोह, खुंगसाई, सिंगसुअन, लियनतंग, हाउकिप, कीपगेन, चंगचन, तोंगपम और दोंगल I