पूर्वोत्तर भारत के पर्व-त्योहार
मोन्यू त्योहार (Monyu Festival)फोम नागालैंड की एक प्रमुख जनजाति है I यह समुदाय चार प्रमुख त्योहार मनाता है जिसमें मोन्यू सबसे महत्वपूर्ण है I अन्य त्योहार हैं – मोहा, बोंगवुम और पांगमो I मोन्यू 1-6 अप्रैल को शरद ऋतु की समाप्ति और ग्रीष्म ऋतु के आरम्भ में मनाया जाता है I यह बारह दिवसीय त्योहार है जिसमें सामुदायिक भोज, नृत्य, गीत का आयोजन किया जाता है I इस अवसर पर साफ–सफाई और पुल आदि की मरम्मत भी की जाती है I इस त्योहार में पुरुष अपनी विवाहित पुत्रियों के प्रति स्नेह और सम्मान का प्रदर्शन करने के लिए मदिरा और अन्य विशेष व्यंजन प्रस्तुत करते हैं I त्योहार आरम्भ होने के पूर्व विशेष धुन पर पारंपरिक लॉग ड्रम बजाय जाता है ताकि ग्रामवासियों को ज्ञात हो जाए कि एक–दो दिनों में त्योहार की शुरुआत होनेवाली है I पुजारी और गाँव के बुजुर्ग भविष्यवाणी करते हैं कि यह त्योहार ग्रामवासियों के लिए वरदान सिद्ध होनेवाला है अथवा अभिशाप I
आओलियंग त्योहार (Aoleang Festival)आओलियंग नागालैंड की कोन्यक जनजाति का एक प्रमुख त्योहार है I प्रत्येक वर्ष 1-3 अप्रैल को इस त्योहार का आयोजन किया जाता है I नए खेत में बीज बोने के बाद यह त्योहार मनाया जाता है। यह पुराने वर्ष की विदाई और नए वर्ष का स्वागत करने का त्योहार है । इस त्योहार के अवसर पर भरपूर फसल व धन–धान्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना की जाती है। इस त्योहार का आयोजन अत्यंत धूमधाम और उत्साह के साथ किया जाता है। इस त्योहार के प्रत्येक दिन का अपना महत्व, रीति रिवाज और परंपरा है। यह त्योहार प्रदेश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को भी प्रतिबिंबित करता है I इस त्योहार के अवसर पर कोन्यक जनजाति के स्वदेशी नृत्य, गीत और खेल का प्रदर्शन किया जाता है । त्योहार के पहले दिन को “मान लाई याह नइह” के नाम से जाना जाता है जो त्योहार की तैयारी करने का दिन है। “यिन मोक फो न्यह” त्योहार का दूसरा दिन है I इस दिन नए युवकों को शिकार करना सिखाया जाता है । जिस दिन शिकार किए गए जानवरों को मारा जाता है वह त्योहार का तीसरा दिन है I इस दिन को “यिन मोक शेक न्यह” कहा जाता है। त्योहार का चौथा दिन सबसे महत्वपूर्ण दिन है जिसे “लिंग्यु न्यह” कहा जाता है । “लिंग न्यह” त्योहार का पाँचवाँ दिन है I इस दिन कोन्यक समुदाय के युवा अपने बुजुर्गों का सम्मान करते हैं और उनके प्रति अपना आभार व्यक्त करते हैं । त्योहार के अंतिम दिन को “लिंगशान न्यह” कहा जाता है I इस दिन घरों और गाँवों की साफ़-सफाई की जाती है I
Very nice post