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हिंदी रिपोर्ताज साहित्य और कन्हैयालाल मिश्र का ‘क्षण बोले कण मुस्काए’

रिपोर्ताज साहित्य की गणना हिंदी गद्य की नव्यतम विधाओं में की जाती है. द्वितीय विश्वयुद्ध के आसपास इस विधा का जन्म हुआ. रिपोर्ताज शब्द को अपने विदेशी (फ्रेंच) रूप में ही ज्यों का त्यों हिंदी में अपना लिया गया

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सामाजिक उत्तरदायित्व के बदलते स्वरूप

21वीं शताब्दी में सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्र में एक नई अवधारणा का विकास हुआ जिसे विश्वविद्यालय सामाजिक उत्तरदायित्व के नाम से जाना गया।

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भारतीय समाज के बाज़ारों में फुटपाथ दुकानदार : अभिन्न अंग या समस्या

इस आलेख में फुटपाथ दुकानदार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के विषय मे अध्ययन करने का प्रयास किया गया है।

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किन्नर का समाजः कुछ मुद्दंदे एक समाजशास्त्रीय अध्ययन

किन्नर समुदाय में रीति रिवाजों के आधार पर नाम परिवर्तन यौनिक पहचान का एक हिस्सा है । भारतीय संविधान में इन्हें इटरसेक्स, ट्रांससक्सुअल और ट्रांसजेन्डर के रूप में पहचाना गया और इनकी पहचान का थर्ड जेंडर में ट्रांसजेन्डर की श्रेणी में रखा गया ।

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थर्ड जेंडर –सामाजिक अवधारणा एवं पुनरावलोकन

हमारा पूरा समाज दो स्तम्भों पर खड़ा है पुरुष और स्त्री ।  लेकिन हमारे समाज में इन दो लिंगों के अलावा भी एक अन्य प्रजाति का अस्तित्व मौजूद है । समाज में इन्हें ‘थर्ड जेंडर’ और आमतौर सामाजिक रूप से उपनाम ‘किन्नर’ शब्द से भी संबोधित किया जाता है ।

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