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    कविता- नींद

    नींद आयी मेरी पलकों पर बैठ मुझसे बोली सुनो! मैंने कहा-बोलो आज तो ख्वाब आने से रहे मैंने कहा क्यों? वह बोली कॉफी बनाओ मैंने कहा- आधी रात वह बोली मेरा मन कर रहा है रात नापते नापते कदम बोझिल हो गये हैं फिर मैंने मुस्कुराकर दो प्याली कॉफी बनायी हमने साथ साथ पी तब तक...

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