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    • पतझड़

                          गीत :- पतझड़ कोकिला की कूक सूनी हूक अंतस् गढ़ बना है। भाव निर्जन राग नीरव और मन  पतझड़ बना है॥ वेदना की परिधि में खुद को खड़ा पाया था जब मौन स्मित हो गयी थी बढ़ गयी गोपन व्यथा तब धूप उच्छृंखल...

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