नींद आयी

मेरी पलकों पर बैठ

मुझसे बोली

सुनो!

मैंने कहा-बोलो

आज तो ख्वाब आने से रहे

मैंने कहा क्यों?

वह बोली

कॉफी बनाओ

मैंने कहा- आधी रात

वह बोली

मेरा मन कर रहा है

रात नापते नापते

कदम बोझिल हो गये हैं

फिर मैंने मुस्कुराकर

दो प्याली कॉफी बनायी

हमने साथ साथ पी

तब तक लाली छा गई

वह बोली

अब मैं सूरज की छाती पर

सिर रखकर सोने जा रही!

   डॉ. ऋचा द्विवेदी