पहेलियाँ अमीर खुसरो
Paheliyan Amir Khusro
1. पहेलियाँ
1
तरवर से इक तिरिया उतरी उसने बहुत रिझाया
बाप का उससे नाम जो पूछा आधा नाम बताया
आधा नाम पिता पर प्यारा बूझ पहेली मोरी
अमीर ख़ुसरो यूँ कहे अपना नाम न बोली
(उत्तर=निम्बोली)
2
फ़ारसी बोली आईना,
तुर्की सोच न पाईना
हिन्दी बोलते आरसी,
आए मुँह देखे जो उसे बताए
(उत्तर=दर्पण)
3
बीसों का सर काट लिया
ना मारा ना ख़ून किया
(उत्तर=नाखून)
4
एक परख है सुंदर मूरत, जो देखे वो उसी की सूरत
फिक्र पहेली पायी ना, बोझन लागा आयी ना
(उत्तर=आईना)
5
घूस घुमेला लहँगा पहिने, एक पाँव से रहे खडी।
आठ हाथ हैं उस नारी के, सूरत उसकी लगे परी।
सब कोई उसकी चाह करे, मुसलमान, हिंदू छतरी।
खुसरो ने यही कही पहेली, दिल में अपने सोच जरी।
(उत्तर=छतरी)
6
आदि कटे से सबको पारे। मध्य कटे से सबको मारे।
अन्त कटे से सबको मीठा। खुसरो वाको ऑंखो दीठा॥
(उत्तर=काजल)
7
एक नार ने अचरज किया। साँप मार पिंजरे में दिया
ज्यों-ज्यों साँप ताल को खाए। सूखै ताल साँप मरि जाए
(उत्तर=दिये की बत्ती)
8
खड़ा भी लोटा पड़ा पड़ा भी लोटा।
है बैठा और कहे हैं लोटा।
खुसरो कहे समझ का टोटा॥
(उत्तर=लोटा)
9
खेत में उपजे सब कोई खाय
घर में होवे घर खा जाय
(उत्तर=फूट)
2. बूझ पहेली (अंतर्लापिका)
यह वो पहेलियाँ हैं जिनका उत्तर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रुप में
पहेली में दिया होता है यानि जो पहेलियाँ पहले से ही बूझी गई हों:
1.
गोल मटोल और छोटा-मोटा, हर दम वह तो जमीं पर लोटा।
खुसरो कहे नहीं है झूठा, जो न बूझे अकिल का खोटा।।
(उत्तर=लोटा)
2.
श्याम बरन और दाँत अनेक, लचकत जैसे नारी।
दोनों हाथ से खुसरो खींचे और कहे तू आ री।।
(उत्तर=आरी)
3.
हाड़ की देही उज् रंग, लिपटा रहे नारी के संग।
चोरी की ना खून किया वाका सर क्यों काट लिया।
(उत्तर=नाखून)
4.
एक नार तरवर से उतरी, सर पर वाके पांव।
ऐसी नार कुनार को, मैं ना देखन जाँव।।
(उत्तर=मैंना)
5.
सावन भादों बहुत चलत है माघ पूस में थोरी।
अमीर खुसरो यूँ कहें तू बुझ पहेली मोरी।।
(उत्तर=मोरी (नाली)
6.
बाला था जब सबको भाया, बड़ा हुआ कुछ काम न आया।
खुसरो कह दिया उसका नाव, अर्थ करो नहीं छोड़ो गाँव।।
(उत्तर=दिया)
7.
नारी से तू नर भई और श्याम बरन भई सोय।
गली-गली कूकत फिरे कोइलो-कोइलो लोय।।
(उत्तर=कोयल)
3. बिन बूझ पहेली या बहिर्लापिका
इसका उत्तर पहेली से बाहर होता है:
1.
एक नार कुँए में रहे, वाका नीर खेत में बहे।
जो कोई वाके नीर को चाखे, फिर जीवन की आस न राखे।।
(उत्तर=तलवार)
2.
एक जानवर रंग रंगीला, बिना मारे वह रोवे।
उस के सिर पर तीन तिलाके, बिन बताए सोवे।।
(उत्तर=मोर)
3.
चाम मांस वाके नहीं नेक, हाड़ मास में वाके छेद।
मोहि अचंभो आवत ऐसे, वामे जीव बसत है कैसे।।
(उत्तर=पिंजड़ा)
4.
स्याम बरन की है एक नारी, माथे ऊपर लागै प्यारी।
जो मानुस इस अरथ को खोले, कुत्ते की वह बोली बोले।।
(उत्तर=भौं (भौंए आँख के ऊपर होती हैं)
5.
एक गुनी ने यह गुन कीना, हरियल पिंजरे में दे दीना।
देखा जादूगर का हाल, डाले हरा निकाले लाल।
(उत्तर=पान)
6.
एक थाल मोतियों से भरा, सबके सर पर औंधा धरा।
चारों ओर वह थाली फिरे, मोती उससे एक न गिरे।
(उत्तर=आसमान)
4. दोहा पहेली
ये पहेलियाँ आध्यात्मिक दोहे भी हैं:
1.
उज्जवल बरन अधीन तन, एक चित्त दो ध्यान।
देखत मैं तो साधु है, पर निपट पाप की खान।।
(उत्तर=बगुला)
2.
एक नारी के हैं दो बालक, दोनों एकहि रंग।
एक फिरे एक ठाढ़ा रहे, फिर भी दोनों संग।
(उत्तर=चक्की)
3.
आगे-आगे बहिना आई, पीछे-पीछे भइया।
दाँत निकाले बाबा आए, बुरका ओढ़े मइया।।
(उत्तर=भुट्टा)
4.
चार अंगुल का पेड़, सवा मन का पत्ता।
फल लागे अलग अलग, पक जाए इकट्ठा।।
(उत्तर=कुम्हार की चाक)
5.
अचरज बंगला एक बनाया, बाँस न बल्ला बंधन धने।
ऊपर नींव तरे घर छाया, कहे खुसरो घर कैसे बने।।
(उत्तर=बयाँ पंछी का घोंसला)
6.
माटी रौदूँ चक धर्रूँ, फेर्रूँ बारम्बर।
चातुर हो तो जान ले मेरी जात गँवार।।
(उत्तर=कुम्हार)
7.
गोरी सुन्दर पातली, केहर काले रंग।
ग्यारह देवर छोड़ कर चली जेठ के संग।।
(उत्तर=अरहर की दाल)
8.
ऊपर से एक रंग हो और भीतर चित्तीदार।
सो प्यारी बातें करे फिकर अनोखी नार।।
(उत्तर=सुपारी)
9.
बाल नुचे कपड़े फटे मोती लिए उतार।
यह बिपदा कैसी बनी जो नंगी कर दई नार।।
(उत्तर=भुट्टा (छल्ली)
5. संदिग्ध पहेलियाँ
इन पहेलियों को कई साहित्यकार अमीर खुसरो की नहीं मानते:
1.
अग्नि कुंड में घिर गया, और जल में किया निकास।
परदे परदे आवना, अपने पिया (प्रियतम) के पास।।
(उत्तर=हुक्के का धुँआ)
2.
नयी की ढीली पुरानी की तंग।
बूझो तो बूझो नहीं तो काना हो जाए।।
(उत्तर=चिलम)
3.
हात में लीजै देखा कीजै।
(उत्तर=आइना (शीशा)
4
एक नार वो ओखद खाए, जिस पर थूके वो मर जाए।
उसका पिया जब छाती लाए, अंधा नहीं तो काना हो जाए।।
(उत्तर=बंदूक (निशाना लगाते समय एक आँख बंद
कर लेते हैं)