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1881 में भारतेंदु हरिश्चंद्र का ताजा नाटक 'अंधेर नगरी' काशी की जानी-मानी नाटक संस्था नेशनल थियेटर (जिसके संरक्षक खुद भारतेंदु थे) की रंगमंडली द्वारा काशी के दशाश्वमेध घाट पर खेला गया।
आधुनिक काल में भारतेंदु, द्विवेद्वी, छायावाद, प्रगतिवाद, प्रयोगवाद, नई कविता, अकविता, तथा समकालीन कविता जैसे काव्यान्दोलनों का उभार हुआ जिसे स्वतंत्रता पूर्व और पश्यात दो भागों में भी बाँट सकते हैं। इन काव्यान्दोलनों के उद्भव में सबसे प्रमुख भूमिका नवजागरण एवं आधुनिकता के विचारधारा की उत्पत्ति का है।