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हिंदी भाषा

भाषा और जनविसर्जन के संदर्भ में हिंदी के व्यावहारिक और मानक रूपों की सीमाएं और संभावनाएं

हिंदी मानक वस्तुत: भाषा का व्याकरण सम्मत, शुद्ध, परिनिष्ठित, परिमार्जित रूप होता है। इस स्थान पर पहुंचने केलिए भाषा को कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। पहले स्तर पर भाषा का मूल रूप बोली होता है। इसका क्षेत्र सीमित होता है।

भारतीय संविधान में राष्ट्र (संघ), राज्य और भाषा का अन्तः सम्बन्ध और उससे जुड़ी समस्याएँ

यहाँ राष्ट्र (संघ), राज्य और भाषा के संवैधानिक संबंधों के साथ-साथ उनसे जुड़ी समस्याओं को समझने की कोशिश की गई। जिसमें विभिन्न विद्वानों के विचारों को व्यक्त किया गया।

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