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विचार-विमर्श

हिन्दी साहित्येतिहास की समस्याएँ

इतिहासबोध की परंपरा में सक्रिय परिवर्तन शुक्ल जी ने ‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’ में प्रत्यक्षवादी या विधेयवादी दृष्टिकोण से किया।

अटल इनोवेशन मिशन: मेक इन इंडिया टू मेक फॉर दी वर्ल्ड-शुभम जायसवाल

भारत को नवाचार के क्षेत्र में एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने के उद्देश्य से अटल इनोवेशन मिशन की शुरुआत हुयी थी। इस मिशन ने अबतक कुल 68 अटल इनक्यूबेशन सेंटर स्थापित किए हैं।

सिनेमाई मनोरंजन से विदेशों में हिंदी का विस्तार-डॉ. कुमार भास्कर

विदेशों में हिंदी सिनेमा के विस्तार और आकर्षण में गीत-संगीत की बड़ी भूमिका रही है। सिनेमा में कला का यह पक्ष, विदेशी समाज को एक अलग नजरिये से भारतीय हिंदी सिनेमा के प्रति सदैव आकर्षित करता रहा है।

आदिवासी साहित्य के स्वरूप और अस्मिता- जीभावनी कुमार रजक

आदिवासी साहित्य आदिवासी व गैर आदिवासी साहित्यकारों के द्वारा प्रचुर मात्रा में लिखा जा रहा है जिससे आदिवासियों के प्रति लोगों का नजरिया बदल रहा है।

समावेशी शिक्षा का दर्शन एवं सिद्धांत-आनंद दास

'समावेशी शिक्षा' उन्हीं नवीन खोजों का प्रतिफल है जो शिक्षा के क्षेत्र में एक नया मार्ग दिखती है। समावेशी शिक्षा समान शैक्षिक अवसरों प्रदान करता है, शिक्षा में पूर्ण सहभागिता सुनिश्चित करता है

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर वाले बच्चों के शिक्षकों की समस्याएं :- एक अध्ययन:उजमा एजाज़,डॉ. मुकेश कुमार चंद्राकर

ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर एक विकासात्मक अक्षमता है, जो मुख्य रूप से शाब्दिक और अशाब्दिक संप्रेषण एवं समाजिक अंत: क्रिया को प्रभावित करता है ।

उत्तराखंड की लोक गाथाएँ : जागर के संदर्भ में-दिवाकर भटेले

उत्तराखंड की सांस्कृतिक परंपराओं में लोक गाथाओं का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। उत्तराखंड की सांस्कृतिक परंपराओं में जागर गाथाओं की अपनी अलग पहचान है।जागर गाथाएँ लोक संस्कृति के अभिन्न अंग लोक गाथाओं के अंतर्गत आती है।

इंसानियत के खिलाफ इंसान की लड़ाई है अवतार-2-रमेश कुमार राज

'अवतार: द वे ऑफ वाटर' की शुरुआत इसी समस्या से होती है। 'अवतार' में यह लड़ाई जहाँ पर खत्म हुई थी, इसकी शुरुआत वहीं से होती है।

अज्ञेय की विभाजन संबंधी कहानियों में अभिव्यक्त मानवीय मूल्य और उनकी प्रासंगिकता-ताजवर बानो

अज्ञेय की कहानियों के केंद्र में रोटी ,कपड़ा और मकान न होकर विभाजन की त्रासदी से क्षीण हुई मानवीय संवेदना की अभिव्यक्ति है .

फणीश्वरनाथ रेणु के साहित्य में आंचलिक सैद्धांतिकी का सौन्दर्यशास्त्रीय अध्ययन-सपना दास

सौंदर्यशास्त्र, वास्तव में कला एवं साहित्यिक सौंदर्य जैसे कल्पना, कार्य निर्माण स्थल, इंद्रिय बोधगम्यता, अनुभूति, मनोदशा, विश्वास आदि के अध्ययन करने की एक विशिष्ट शाखा है।

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