पेरियार ललई के सन्दर्भ में एक दुर्लभ जानकारी….
पेरियार ललई के गाँव के लोग बता रहे हैं कि वे अछूत भेदभाव, जातिवाद और ब्राह्मणवाद के खिलाफ लड़ने वाले महान व्यक्तिव थे l उनका सपना मानवतावादी समतामूलक समाज की स्थापन का था l सुबह जब मैं लोगों के साक्षात्कार लेने के लिए पेरियार ललई के घर से निकल रहा था तब लोगों ने मुझे बताया कि आप आज मोहर सिंह के पास जाईए l उनसे बात कीजिये l वे उनके बारे में विस्तार से बताएँगे l मैं वहां गया l उन्होंने बात शुरू होते ही माथे पर हाथ रख लिया और कहा पेरियार ललई जैसा महान व्यक्तित्व मैंने आज तक नहीं देखा l ऐसा अद्भुत मनुष्य जो बिरला है l खोजने पर भी नहीं मिलेगा l जीवन और समाज के प्रति इतना ईमानदा, प्रीतिबद्ध व्यक्तित्व की आप पूछिये मत l वे सबसे अधिक जातीय छुआछूत के खिलाफ लड़ते थे l पेरियार ललई के समय भंगी मंगली प्रसाद का एक परिवार था l जिनकी जाति वाल्मीकि थी l जिनसे सभी जाति के लोग अछूत भेदभाव का व्यवहार करते थे l यहां तक कि मुसहर, पासी, चमार और अहीर आदि सभी जातियों के लोग उनका छुआ पानी नहीं पीते थे उनके बर्तन में भोजन नहीं करते थे l अपने कुंआ से कभी भी पानी नहीं भरने देते थे l उन्हें दूर रह कर पानी को प्राप्त करना होता था l इस अछूत व्यवहार के खिलाफ पेरियार ललई जैसे युद्ध लड़ रहे थे l उन्होंने एक रोज कहा मंगली प्रसाद तुम अब किसी की थाली में मत खाओ l किसी के कुंए से पानी मत भरो l जो भी तुमको अछूत बोले तुम भी बोलो कि तुम अछूट हो इसलिए मैं तुम्हारे बर्तन में पानी नहीं पिता, तुम्हारे कुंएं से पानी नहीं भरता हूँ l इस पर मंगली प्रसाद ने उनसे कहा मेरे पास तो कुंआ ही नही है तो मैं कहाँ से पानी भरूंगा और कैसे अछूत कहूँगा l पेरियार ललई ने कहा कल से तुम्हारे घर के सामने कुंआ की खुदाई शुरू हो जायेगी और उन्होंने कुछ समय बाद एक कुँआ खोदवा दिया गया l कुंआ काफी अच्छा और गहरा था l एक बार हुआ ये कि जबरदस्त अकाल पड़ा बहुत सारे कुंएं सूख गए l गाँव के सवर्ण अपने कुंएं से किसी को पानी नहीं भरने दे रहे थे l इस पर गाँव के मुसहर, पासी, अहीर और चमार आदि जातियों के लोग भागे भागे कुंएं की तरफ बढ़ने लगे जिस पर पेरियार ललई ने मंगली प्रसाद को ललकारते हुए कहा मंगलिया आज लाठी लेकर कुंएं पर खाड़ा होने का समय आ गया है l इस पर मंगली प्रसाद ने कहा– अरे दिवान जी झगड़ा मेरे बस का नहीं है l इस पर दीवान पेरियार ललई ने कहा तो तुम्हारे बस में मुर्दों की तरह जिंदा रहना है l ले ये पकड़ लाठी मैं आज दो लाठी लेकर आया हूँ l मंगली और पेरियार ललई कुएँ की जगती पर पगड़ी बाँधकर सीना तान के खड़े हो गए और पेरियार ललई ने मंगली प्रसाद से कहा कि मंगलिया बोल कि कोई मुसहर, पासी, चरमा और अहीर या कोई भी मेरे कुएँ को छूना नहीं मेरा कुंआ अछूत हो जायेगा l मैं तुम लोगों से स्वच्छ व्यक्ति हूँ l मुझे और मेरे कुंएं को छूना नहीं l सभी अछूतों खबरदार !! मंगली प्रसाद ने इसी तरह गरजते हुए सारी बातें दोहरा दिया और पानी किसी को भी नहीं भरने दिया l सभी लोग डर के मारे दबे पाँव वापस जाने लगे l एक बुजुर्ग व्यक्ति ने पीछे मुड़ते हुए कहा हम सब अब कभी भी ऐसा व्यवहार नहीं करेंगे पानी भर लेने दो बच्चे प्यासे हैं l इस पर पेरियार ललई ने कहा अब ये अनुमति मंगली ही दे सकते हैं l बुजुर्ग के हाथ जोड़ते इस अनुरोध के बाद मंगली प्रसाद ने पानी लेने की अनुमति दे दी l उस दिन से उनके प्रति लोगों का व्यवहार एकदम बदल गया l पेरियार ललई मंगली के घर उठते बैठते थे l मंगली की पत्नी जब खाना बना लेतीं तो पहुँच जाते और कहते अरे हमको पहले खिलाई मंगली को बाद में l उन्हीं की थाली में मंगली और पूरे परिवार के साथ बैठ कर खाना खाते l उसके बाद अपने खाये हुए अन्न का हिस्सा अपने घर से लाकर ध्यान से मंलगी को दे देते l कई बार मंगली प्रसाद को अपने साथ अपने घर लाकर अपनी ही थाली में खाना खिलाते थे l इस तरह का था पेरियार ललई का अछूत भेभाव, जाति के खिलाफ लड़ते हुए मानवतावादी समता मूलक समाज बनाने का सपना l
नोट– 1– गाँव में पेरियार ललई को लोग दिवान जी कहते हैं l
2– फोटो में मोहर सिंह यादव और उनकी बेटी किरण सिंह यादव हैं l ये पेरियार ललई के साथ लंबे समय तक रहे हैं l
3– कुछ दलित जातियों का नामोल्लेख करने के क्रम में इन शब्दों का प्रयोग साक्षात्कारदाता के हैं l मैं इस पद का प्रयोग नहीं करता हूँ l यहां अछूत जातियों की व्याख्या की अत्यंत आवश्यक थी l इसलिए इस पद का प्रयोग किया गया है l अगर किसी भी व्यक्ति की भवना इससे आहत होती है तो उसके लिए पूर्व ही सॉरी बोलता हूँ l