रेतीले टीले का राजहंस (युगप्रवर्तक आचार्य तुलसी के जीवन और कर्म पर आधारित उपन्यास)- डॉ. हरीश नवल 
                                             
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पुस्तक नाम:  ‘रेतीले टीले का राजहंस’
विधा: उपन्यास
लेखक: डॉ. हरीश नवल
प्रकाशक: प्रभात प्रकाशन, दिल्ली
लेखक विचार:  


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यह उपन्यास ‘तेरा पंथ’ जो जैन धर्म के अंतर्गत है के  प्रख्यात युगप्रवर्तक आचार्य तुलसी के जीवन और कर्म पर आधारित है ‘जैन विश्व भारती’ राजस्थान द्वारा यह महत दायित्व मैंने एक प्रोजेक्ट के तहत मिशन के रूप में फ़रवरी २०१२ में लिया था। मैं वर्तमान आचार्यश्री महाश्रमन जी,साध्वीप्रमुखा श्रद्धेया कनकप्रभा जी और अनेक विशिष्ट जैन मुनियों के आशीर्वाद और साक्षात्कारों से समृद्ध हुआ। मैं आचार्य तुलसी के परिजनों से मिला,जहाँ उनका जन्म हुआ, जहाँ शिक्षा ली,जिन वीथियों में वे बालपन में खेले,उनके मुख्य कर्मस्थल ,उनके निर्मित प्रकल्पों आदि को परखा।उनका समस्त साहित्य खंगाला।

इस उपन्यास को चार बार आचार्यों , मुनियों ने  जाँच,संशोधन ,अवलोकन , परीक्षण आदि से वर्तमान रूप  में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जिस बीच मैं कैन्सर का शिकार हुआ और रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर हो गया …आचार्यों की अनुकंपा और सबकी शुभकामनाओं से पुनः जीवन पा सका…थोड़ा स्वस्थ होते ही मैंने इस कार्य को सम्पन्न करने हेतु अपने को संलग्न किया। श्रद्धेय जय मुनि मेरे ‘परीक्षक’ थे, उनका आशीर्वाद फलित हुआ। पत्नी स्नेह सुधा का अप्रतिम सहयोग रहा और ‘प्रभात प्रकाशन’ के प्रातिभ प्रकाशक श्री प्रभात कुमार ने इसे रूप आकार देकर प्रकाशित किया….,श्री राजेश जैन चेतन और श्री इंद्र बेंगानी का आभार उनका योगदान सर्वोपरि ….विशेषकर इंद्र जी का जो मेरे लिए इंद्र मुनि हैं 

अपने जीवन में विपरीत स्थितियों से जूझते हुए भी लक्ष्य प्राप्त करना मैंने तपस्वी जैन मुनियों से सीखा ।विश्व के किसी धर्म में इतनी कठिन तपश्चर्या नहीं है ।

आप पढ़ेंगे तो मुझे सुधारेंगे और अगला संस्करण बेहतर हो सकेगा । ।।प्रणाम।। ।