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ऊना, 5 जनवरी –
हिमाचल के साहित्य जगत के लिए नया साल एक सुखद खबर लेकर आया है । हिमाचल साहित्य
अकादमी अवार्ड से पुरस्कृत कवि व ऊना के जिला लोक संपर्क अधिकारी गुरमीत बेदी का
दूसरा कविता संग्रह “मेरी ही कोई आकृति ” नई दिल्ली में 7 जनवरी से शुरू
हो रहे विश्व पुस्तक मेला का हिस्सा बनने जा रहा है। इस संग्रह की भूमिका पदमश्री
से अलंकृत देश के वरिष्ठतम कवि लीलाधर जगूड़ी ने लिखी है और भावना प्रकाशन ने इसे
प्रकाशित किया है। बेदी का यह दूसरा काव्य संग्रह 23 साल के लम्बे अंतराल के बाद
प्रकाशित हुआ है.
      
इससे पूर्व 1994 में गुरमीत बेदी का पहला कविता संग्रह “मौसम का
तकाजा” प्रकाशित हुआ था और इसे हिमाचल साहित्य अकादमी अवार्ड से नवाजा गया
था। गुरमीत बेदी ने देश के साहित्यिक परिदृश्य में कवि
, कहानीकार व व्यंग्यकार के रूप में अपनी अलग पहचान बनाई है और इन सभी
विधाओं में उनकी 8 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं जिनमें तीन व्यंग्य संग्रह
,
दो कविता संग्रह , दो कहानी संग्रह और एक शोध
की पुस्तक शामिल है। गुरमीत बेदी के तीन उपन्यास भी धारावाहिक रूप से प्रकाशित व
चर्चित हुए हैं।
     
गुरमीत बेदी विदेशों में भी कविता व व्यंग्य पाठ करके हिमाचल प्रदेश का
गौरव बढ़ा चुके हैं और उन्हें विदेशों में सम्मानित भी किया गया है। तीन वर्ष
पूर्व उन्हें जर्मनी के बर्लिन में आयोजित वर्ल्ड पोइट्री फेस्टिवल में भी
आमंत्रित किया गया था । उन्हें व्यंग्य संग्रह “नाक का सवाल” के लिए
कनाडा का विरसा अवार्ड भी मिल चुका है। पिछले साल गुरमीत बेदी मॉरीशस में कविता
पाठ के लिए गए थे।
   
गौरतलब है कि 3 महीने पहले ही गुरमीत बेदी का कहानी संग्रह “सूखे
पत्तों का राग” प्रकाशित होकर आया है जिसकी समीक्षा व चर्चा लगातार देश की
प्रतिष्ठित पत्र -पत्रिकाओं में हो रही है। गुरमीत बेदी के व्यंग्य के कॉलम भी देश
की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में बड़े चाव से पढ़े जाते हैं ।

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