अनुवाद और रोजगार की संभावनाएं
अनुक्रम
डॉ. श्रीराम हनुमंत वैद्य
श्री शिवाजी महाविद्यालय बार्शी,
तहसील बार्शी, जिला-सोलापूर
पिन- 413411
दूरभाष-9657243507
सारांश
आज वैश्वीकरण के इस युग में किसी भी देश, भाषा या व्यक्ति को विश्व की तमाम उपलब्धियों से जुड़ने के लिए अनुवाद से बेहतर मार्ग उपलब्ध नहीं है। वर्तमान में रोजगार की संभावनाओं से संबंधित विमर्श किया जाए तो ज्ञात होता है कि विगत कई वर्षों से सरकारी नौकरियां नहीं निकल रही है। वर्तमान समय की बात करें तो कई जगहों पर सीएचबी (Clock Horse Basic) नीतियों से नियुक्तियां हो रही है या अतिथि और तदर्थ पदों की बातें हो रही है। इन सभी परिस्थितियों से स्पष्ट होता है कि केवल परंपरागत शिक्षा पर निर्भर न होकर व्यवसायिक या रोजगार परक शिक्षा की ओर ध्यान देना आवश्यक है। अनुवाद एकमात्र क्षेत्र है, जिसमें संपूर्ण विश्व समा जाता है। इसलिए उसमें रोजगार की संभावनाएं भी अधिक रही है। अनुवाद व्यवसायिक पाठ्यक्रम की उपाधि प्राप्त करने पर रोजगार की संभावनाएं महसूस होने लगती है, केवल कड़ी मेहनत करने का दृढ़ निश्चय होना चाहिए।
बीज शब्द:- अनुवाद, रोज़गार, वैश्वीकरण, संचार, विज्ञापन, दुभाषी, आशु, डबिंग, अवसर,तदर्थ, भ्रमण
शोध आलेख
आज वैश्वीकरण एवं भूमंडलीकरण के इस युग में अनुवाद की महत्ता एवं प्रासंगिकता बढ़ गई है। वही रोजगार की दृष्टि से अत्यंत कारगर सिद्ध हो रही है। अनुवाद का सूक्ष्म ज्ञान प्राप्त करने से निम्न रोजगार की संभावनाएं उपलब्ध हो सकती हैं। वह क्षेत्र निम्नानुसार है।
जनसंचार माध्यम
जनसंचार माध्यम का एक विशिष्ट संसार होता है, जिसमें सूचनात्मक साहित्यिक, मनोरंजन, राजनीति, मनोरंजन, बाजार, खेल, वाणिज्य, संपादकीय, ध्वन्यात्मक, दृश्यात्मक आदि विभिन्न विधाओं का समावेश होता है। इन संचार माध्यमों के साथ अनुवाद अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है।
भारतीय जनसंचार माध्यमों में अनुवाद अधिकांश अंग्रेजी से हिंदी एवं प्रांतीय भाषाओं में होता है। ताकि मुख्य समाचार एजेंसियों की भाषा अंग्रेजी होती है। आज वर्तमान युग में हिंदी भाषाओं में समाचार एजेंसियां कार्य कर रही है। वस्तुतः आज भारत की अनेक प्रांतीय समाचार, देश- विदेश के समाचार हिंदी या अंग्रेजी एजेंसियों से अनूदित करते हैं। आज भी स्थानीय माध्यमों के लिए अनुवाद ही एक मुख्य गतिविधि है। भोलानाथ तिवारी के अनुसार “समाचार माध्यमों के अनुवाद में संक्षिप्तियों, शिर्षकों के अनुवाद काफी दुष्कर होते हैं क्योंकि यह अधिकांशतः अंग्रेजी की प्रकृति के अधिक नजदीक होते हैं और इनका अनुवाद लक्ष्य भाषा में कई बार एक सीमित शब्द के रूप में होता है।”१
संचार माध्यम में डबिंग भी अनुवाद का महत्वपूर्ण आयाम है। आज भारतीय संचार माध्यमों में केवल भारतीय ही नहीं अपितु विदेशी कार्यक्रमों का डबिंग की सहायता से प्रदर्शन किया जाता है। यहां अच्छे अनुवादक की अत्यंत आवश्यकता होती है। डबिंग में लक्ष्य भाषा प्रकृति के अनुरूप अनूदित किया जाता है। सिनेमा विश्व में भी कई फिल्में डबिंग की सहायता से अन्य भाषाओं में प्रदर्शित की जा रही है। आर्थिक लाभ कमाने हेतु अनेक दिग्दर्शक अन्य फिल्म इंडस्ट्री के श्रेष्ठ फिल्म के डबिंग को प्राधान्य दे रहे हैं। जैसे- बाहुबली। सबसे अधिक धनार्जन करने का रिकॉर्ड इस फिल्म के नाम पर रहा है। आज हिस्ट्री नेशनल ज्योग्राफी, ई.एस.पी.एन,एनिमल, प्लेनेट तथा विभिन्न राष्ट्रों की कला एवं संस्कृतियों का प्रदर्शन करने वाली धारावाहिक कार्यक्रम भारतीय हिंदी भाषा के साथ-साथ अन्य सभी भाषाओं में प्रदर्शित होती है। अर्थात जनसंचार माध्यम में अनुवादक को रोजगार की अनंत संभावनाएं है। वह समाचार संपादक, अनुवादक, भाषांतरणकार, डबिंग संवाददाता प्रस्तुतकर्ता आदि अनेक जगहों पर काम कर सकता है। मार्शल मेक्लुहन के अनुसार “media is a extension of man अनुवादक को मीडिया की भाषा और उसके स्वरूप में अनंत विचरण करने के लिए पर्याप्त अवकाश देता है।”२ अर्थात अनुवादक को संचार माध्यम के क्षेत्रों में रोजगार की अनेक संभावनाएं है।
विज्ञापन
आज भूमंडलीकरण, बाजारवाद के इस युग में विश्व ने एक मंडी का रूप धारण किया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार, बहुराष्ट्रीय कंपनियां, भूमंडलीकरण और पर्यटन व्यवसाय के कारण विभिन्न भाषाओं में विज्ञापनों के अनुवाद की आवश्यकता महसूस हो रही है। आज अनुवाद केवल सामाजिक-संस्कृतिक गतिविधि तक सीमित नहीं बना है। उन्होंने व्यवसायिक रूप धारण किया है। विज्ञापनों के अनुवाद का सीधा संबंध मार्केटिंग बाजार और मुनाफे से रहा है। एक एक विज्ञापन अनुवाद के लाखों रुपए मानधन लिया जाता है। विज्ञापन अनुवाद में ऊपरी तौर पर केवल शब्द दिखाई देते हैं किंतु उसकी गहराई और संवेदना को समझना उतना आसान कार्य नहीं है। विज्ञापन अनुवादक से अपेक्षा होती है कि अनूदित विज्ञापन को लक्ष्य भाषा देश की जनता स्वीकार करें। अनुवाद करते समय लक्ष्य भाषा के सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक, भौगोलिक परिस्थितियों का विशेष ध्यान रखें। आज संपूर्ण विश्व में विज्ञापन अनुवादकों की आवश्यकता है किंतु बाजार में अच्छे अनुवादक की कमी महसूस होती है।
सरकारी कार्यालय
आजादी के बाद हिंदी को राजभाषा का दर्जा देने के पीछे यही भावना थी कि वह संपर्क की भाषा के रूप में विकसित होकर प्रशासनिक भाषा बनें। उसे सरकारी कामकाज बोलचाल तथा व्यापार की भाषा बना दिया जाए। यह उचित भी था। भारत के अधिकांश लोग हिंदी को जानते थे, समझते थे। लेकिन कुछ भाषावाद या विवाद के कारण अंग्रेजी और हिंदी को राजभाषा के रूप में स्वीकार किया था। तभी से प्रशासनिक कार्य 2 भाषाओं में चलता है।
हमारे देश में अनेक भाषा, उपभाषा एवं उप बोलियों का संगम है । इस विविधता से भरे हुए देश में अनुवादक की आवश्यकता महसूस होती है। सरकारी और गैरसरकारी कार्यालयों में अनुवादक संविधान, अधिनियम अध्यादेश, बिल, नियमावली के अधीन फॉर्म करारों का हिंदी तथा अन्य भाषाओं में अनुवाद करते हैं। भारत सरकार द्वारा विभिन्न सरकारी कार्यालयों में कनिष्ठ अनुवादक, वरिष्ठ अनुवादक, हिंदी राजभाषा अधिकारी, दुभाषी आदि विभिन्न पदों की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जाती है। कर्मचारी चयन आयोग प्रतिवर्ष लगभग 300-400 पद अनुवादक के लिए विज्ञापित करता है। किंतु केवल 100-150 छात्र परीक्षा में सफल होते हैं। उस का प्रमुख कारण अनुवाद क्षेत्र के प्रति सही मार्गदर्शन का अभाव रहा है। इसलिए अच्छे अनुवादक की कमी सदैव महसूस होती आई है। आज संपूर्ण भारतभर अनेक विभागों में अनुवादक काम कर रहे हैं। भारतीय संसद में अनेक अनुवादक है। उनमें से कई विदेश यात्रा जाते हैं या विदेश से आए प्रमुख व्यक्तियों के संवादों के समय आशु अनुवादक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अर्थात अनुवाद से रोजगार के अनेक अवसर प्राप्त किए जा सकते हैं। केवल योग्य और अच्छे अनुवादक की आवश्यकता है।
विधि एवं न्यायालय के कार्यालयों में अनुवाद की अत्यंत आवश्यकता है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 348 में और राजभाषा अधिनियम 1963 की धारा 5 में यह प्रावधान के आधार पर किसी केंद्रीय अधिनियम का हिंदी अनुवाद करके राष्ट्रपति के प्राधिकार से भारत के राजपत्र में प्रकाशित किया जाता है। उच्चतम विधि एवं न्यायालय इन कार्यालयों में प्रकाशन योग्य निर्णय तथा विधि संबंधी साहित्य का अनुवाद विधायी विभाग करता है। इस विभाग में अनुवादक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस विभाग में कानूनी अधिसूचना संविदाओ, बंधपत्रों या सरकारी महत्वपूर्ण पत्रों का हिंदी में तथा प्रादेशिक भाषाओं में अनुवाद किया जाता है।
भारतीय संविधान में संसदीय प्रणाली का महत्वपूर्ण स्थान है। इसके अंतर्गत राष्ट्रपति लोकसभा और राज्यसभा आते हैं। इसे संसद कहा जाता है। लोकसभा और राज्यसभा के सचिवालय में अंग्रेजी और हिंदी अनुवाद कार्य किया जाता है, जिसमें लोकसभा के मंत्रियों तथा संसद सदस्यों के भाषणों का अनुवाद किया जाता है। इस अनुवाद में कच्चे पर अधिक ध्यान देते हुए तत्काल अनुवाद करना आवश्यक रहता है। साथ ही दोनों सदनों ने पारित किए हुए कानून या सभा पटल पर रखे जाने वाले सभी कागज पत्रों का अंग्रेजी और हिंदी में अनुवाद किया जाता है। यह कार्य करने के लिए अनेक अनुवादकों की या हिंदी राजभाषा अधिकारियों की आवश्यकता महसूस होती हैं।
वाणिज्य का महत्वपूर्ण अंग बैंक है। बैंक का सीधा संबंध जनता के साथ लेनदेन के लिए होता है। वहां बैंकों के कामकाज की भाषा एवं अनुवादक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अनुवादक बैंक के मुख्य शाखा उनसे आए सूचना विज्ञापन पत्र टिप्पणी ज्ञापन रिपोर्ट नियम पुस्तिका निविदा आदि का अनुवाद उस प्रदेश की भाषा या हिंदी में करते हैं। वहां बैंक के द्वारा एक राजभाषा अधिकारी या अनुवादक की नियुक्ति की जाती है।
सरकारी कार्यालयों में अनुवादक के रूप में कार्य करने के लिए निम्न शैक्षिक योग्यता आवश्यक है।
- किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय अथवा समकक्ष से डिग्री स्तर पर अनिवार्य या वैकल्पिक विषय के रूप में अंग्रेजी या हिंदी में डिग्री या समतुल्य।
- हिंदी से अंग्रेजी या अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद में मान्यता प्राप्त डिप्लोमा अथवा प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम अथवा भारत भर सरकार के केंद्र या राज्य सरकार के कार्यालय में हिंदी से अंग्रेजी या अंग्रेजी से हिंदी अनुवाद कार्य में 2 वर्ष का अनुभव।
पर्यटन
भारत जैसे सामाजिक-सांस्कृतिक, भौगोलिक विविधता से भरे देश में पर्यटन क्षेत्र में अनुवाद से रोजगार की असीम संभावनाएं रही है। पर्यटन क्षेत्र का महत्व इस जानकारी से स्पष्ट होता है कि विश्व के करीब डेढ़ सौ देशों में विदेशी मुद्रा कमाने वाले कुल पांच क्षेत्रों में पर्यटन का स्थान आता है। अर्थात संपूर्ण विश्व में पर्यटन एक व्यवसायिक क्षेत्र बनकर उभर रहा है। केवल भारतीय ही नहीं तो विदेश के लोग भी भारत में पर्यटन करने आते हैं। भारत की रंग बिरंगी विविधता पर्यटक के आकर्षण का स्थान रहा है। पहाड़ों से बहते झरने, नदियां, अनेक परंपरागत मेले, ऐतिहासिक स्थल, इमारत, समुद्र की लहरें आदि अनेक ऐसे सुंदर पहलू, जो पर्यटकों को आकर्षित करते रहते हैं। उस महत्वपूर्ण स्थलों की जानकारी देने हेतु गाइड एवं मार्गदर्शक के रुप में आशु अनुवादक या अनुवादक की आवश्यकता रहती है। यह अनुवादक पर्यटकों को भ्रमण के दौरान उनकी भाषा में पर्यटन स्थल के ऐतिहासिक, संस्कृतिक जानकारी देते हैं। बदले में उन्हें काफी मानदेय प्राप्त होता है। आज भी पुरातत्व विभाग द्वारा अनेक अनुवादकों के विज्ञापन निकालते हैं। किंतु अच्छे अनुवादक मिलते नहीं है। भारत में अनेक पर्यटन स्थलों पर विदेशी पर्यटकों को अच्छे अनुवादक नहीं मिलते हैं, तो स्थानीय लोगों से काम चलाउ जानकारी प्राप्त की जाती है। यही स्थिति विदेशों में विपरीत है। वहां अनिवार्यता व्यावसायिक अनुवादक की नियुक्ति होती है, जिसका मानदेय प्रवेश के समय ही लिया जाता है।
अनुवाद एजेंसी
वैश्वीकरण के इस युग में अनुवादक अनुवाद एजेंसी की सहायता से घर बैठकर कार्य कर सकता है। आधुनिक तकनीकी संसाधनों के सहयोग से श्रेष्ठ अनुवादकों को साथ लेकर अनुवाद कार्य संपन्न किया जा सकता है। जिससे अनुवादकों कों अच्छा मानधन प्राप्त हो सकता है। हमारे भारत में अनेक ऐसे महापुरुष हैं, जिनका कार्य विशाल एवं भंडार जैसा है। उनके अनेक ऐसे दस्तावेज हैं, जो नष्ट होने की कगार पर है। वह केवल एक भाषा में होने के कारण अन्य भाषा भाषी अपरिचित रहे हैं। उनके कार्य विचार को जीवंत रखने के लिए विभिन्न संस्थाएं और शासन एक साथ कार्य करते हैं तो उन महान व्यक्तियों का कार्य संपूर्ण विश्व में बिखर सकता है। उदाहरण तौर पर महाराजा सयाजीराव गायकवाड का साहित्य और कार्य समृद्ध रहा है। उनका संपूर्ण साहित्य अंग्रेजी, हिंदी, मराठी भाषाओं में प्रकाशन के लिए महाराष्ट्र शासन द्वारा महाराजा सयाजीराव गायकवाड चरित्र साधन समिति की स्थापना की थी। इस अनुवाद कार्य की वजह से अनेक अनुवादकों को प्रति शब्द लगभग एक रुपया के आसपास पैसे मिले थे। ऐसे हमारे भारत में अनेक महान व्यक्ति हुए हैं जो प्रतिभा संपन्न थे। जिन्होंने अपनी कार्यकुशलता, विवेक के आधार पर संपूर्ण विश्व को एक दृष्टि दी है। अनेक पाश्चात्य देशों ने उनके ग्रंथों का अपनी भाषा में अनुवाद करते हुए अपने देश को समृद्ध बनाया है किंतु हमारे भारत में अनुवाद की गति बहुत धीमी गति से रहीं है। या हम कह सकते हैं की इसकी और देखने की दृष्टि आज भी काफी बदली नहीं है। सभी महान व्यक्तियों के साहित्य का अनुवाद करते हैं, तो उनका कार्य विश्व पटल तक जा सकता है। डॉ. पूरणचंद टंडन कहते हैं कि“ अनुवाद वास्तव में जीवन के युद्ध को जीतने का मूल मंत्र है। आत्मविश्वास से प्रदान करने वाला शुद्ध संकल्प है”३
आज भारत भर अनेक अनुवाद एजेंसियों की निर्मिती हो चुकी है। वह व्यावसायिक तौर पर अनेक कंपनियों, संस्थाओं के दस्तावेज पैसा लेकर अनुवाद करवाते हैं। यह कार्य मराठी-हिंदी अनुवाद, अंग्रेजी-हिंदी अनुवाद, अंग्रेजी- मराठी अनुवाद या मांग के अनुरूप सभी भाषाओं में अनुवाद करने की जिम्मेदारी अनुवाद एजेंसियों के माध्यम से पूरी की जाती है।
दुभाषी
“अनुवाद लिखने के स्थान पर बोलकर किया जाए तब उसे तत्काल भाषांतर अथवा आशु अनुवाद की संज्ञा दी जाती है।”४ उस तत्काल भाषण तुरंत करने वाले व्यक्ति को दुभाषी या आशु अनुवादक कहा जाता है। यह दुभाषी दो भाषाओं में बोलने वाली व्यक्तियों के बीच सेतु का कार्य करता है। विश्व में अनेक भाषाएं बोली जाती है, जब एक व्यक्ति एक देश या प्रदेश से दूसरे देश या प्रदेश में जाते हैं तो आपसे संप्रेषण के लिए दुभाषी की आवश्यकता महसूस होती है। वहीं अनुवादकों को रोजगार निर्मिती के अवसर उपलब्ध कराते हैं। आज वैश्वीकरण के इस युग में अनुवाद एजेंशिया, दुभाषी की नियुक्ति करके आवश्यकताओं की पूर्ति करवाते हैं। उस दुभाषी के लिए दो भाषाओं का सुक्ष्म ज्ञान आवश्यक होता है। उन्हें संबंधित भाषाओं के अधिकार के साथ हाजिर जवाबी, श्रवण शक्ति, स्मरण शक्ति, सामान्य ज्ञान, एकाग्र चित्त के साथ आत्मविश्वास होना अत्यंत आवश्यक है। दुभाषी के स्वर उच्चारण शैली गति लहजा आदि अनेक बातें महत्वपूर्ण होती हैं।
साहित्य
विभिन्न राष्ट्रों की साहित्यिक एवं सांस्कृतिक विरासत का आदान-प्रदान अनुवाद के माध्यम से ही संभव है। अनुवाद के माध्यम से ही अन्य भाषा के साहित्य का अध्ययन करने से नई अभिव्यक्ति, संवेदना, विचारधारा एवं शैली का परिचय हुआ है। परिणाम स्वरूप हमारे भारतीय साहित्य पर उसका प्रभाव दिखाई देता है। विश्व ही नहीं तो भारत जैसे बहु भाषीय देश में अनुवाद के माध्यम से ही विविध प्रांतों की सामाजिक, सांस्कृतिक सभ्यता का आदान प्रदान किया जाता है।
आज भूमंडलीकरण के इस युग में कविता, कहानी, उपन्यास, नाटक संस्मरण, रेखाचित्र, यात्रा साहित्य, डायरी, एकांकी, कहावतें, लोकोक्तियां आदि अनेक क्षेत्र ऐसे हैं, जिनमें विश्व स्तर पर अनुवाद की सहायता से आदान-प्रदान का सिलसिला चल रहा है। विश्व के हर लेखक की इच्छा होती है कि उनकी उपलब्धियों से संपूर्ण विश्व परिचित हो। वहां उन उपलब्धियों को किसी भाषा में बंद नहीं करना चाहते हैं। परिणाम स्वरूप अनुवाद करने के लिए अच्छी राशि अनुवादक को दी जाती है। इससे अनुवादक का नाम विश्व में गूंजता है, तो अनुवादक को भी रोजगार मिलता है।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि आज अनुवाद रोजगार की दृष्टि से कारगर सिद्ध हो रहा है। देश-विदेश की अनेक एसी संस्थाएं हैं जो उन अनुवादकों को आजीवन अनुवाद कार्य दे सकते हैं। केवल शुद्ध निष्ठा एवं समर्पण भाव से अनुवाद कार्य होना चाहिए। आज अनेक ऐसे लोग हैं जो अच्छी नौकरियां छोड़कर घर से निरंतर अनुवाद कार्य कर रहे हैं
संदर्भ सूची
- अनुवाद की नई परंपरा और आयाम प्रधान संपा.- कृष्ण कुमार गोस्वामी प्रकाशन संस्थान नई दिल्ली, पृ- 173
- वहीं – पृ- 179
- प्रतिष्ठित अनुवादक- डॉ. पूरणचंद टंडन, संपा. भारतीय अनुवाद परिषद, पृ-193
- अनुवाद की नई परंपरा और आयाम:- संपा.कृष्णकुमार गोस्वामी,पृ-187