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भारतीय समाज के बाज़ारों में फुटपाथ दुकानदार : अभिन्न अंग या समस्या साजन भारती सारांश वर्तमान परिदृश्य में स्ट्रीट वेंडरों की दशा भी बदल गयी है । आज बाज़ार अपने बदलते स्वरूप में समाज के हर पहलू को प्रभावित कर...
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किन्नर का समाजः कुछ मुद्दंदे एक समाजशास्त्रीय अध्ययन सरिता गौतम प्रस्तावना: हमारे समाज में दो ही लिंग को पहचान मिली । स्त्री और पुरूष प्राचीन समय से ही स्त्री एवं पुरूष का काम आपसी सहयोग से संतान पैदा करना मानव जाति...
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थर्ड जेंडर –सामाजिक अवधारणा एवं पुनरावलोकन शोभा जैन हमारा पूरा समाज दो स्तम्भों पर खड़ा है पुरुष और स्त्री । लेकिन हमारे समाज में इन दो लिंगों के अलावा भी एक अन्य प्रजाति का अस्तित्व मौजूद है । समाज में इन्हें ‘थर्ड...
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यौनिकता की बहस में मिथक (इला और नर-नारी /उर्फ : थैंकू बाबा लोचनदास नाटक ) -भावना मसीवाल यौनिकता का आशय मनुष्य की यौनिक पहचान से जुड़ा है और यह पहचान आज व्यक्ति की बजाय समाज सापेक्ष्य है। यौनिकता अपने स्वभाव में...
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कहानी ज्यों चकमक में आग शिवानी, जयपुर मोबाइल- 9509105005 "तुमने पहले कभी कुछ काहे नहीं बताया जिज्जी? सब मिल बैठ के बात करते! कोई तो समाधान ढूँढते! ऐसे कैसे घर से निकाल दिए? हम सब ना हैं का? कानून भी...
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