प्रस्तुत आलेख में स्त्री-जीवन से संबन्धित उन समस्याओं की चर्चा की गयी है आधुनिक युग की स्त्रियों के समक्ष खड़ी हैं । आधुनिक स्त्री हमारे समाज में दोहरी भूमिकाओं में प्रस्तुत है । नयी स्त्री की ये समस्याएँ नए स्त्री प्रश्नों को जन्म देती हैं । अपनी प्रवृत्ति में ये प्रश्न प्राचीन स्त्री-प्रश्नों की ही भाँति गंभीर और उलझे हुये हैं । इनके सुलझने में केवल स्त्री नहीं वरन उसके आस-पास के पूरे परिवेश, स्त्री से जुड़े प्रत्येक स्तर एवं प्रत्येक व्यक्ति का सहयोग अपेक्षित है जो इसे एक जटिल प्रक्रिया बनाता है । यह आलेख उन्हीं सब मुद्दों व उनके समाधान के विभिन्न प्रस्तावों के एक प्रयास को समेटता है । स्त्री के व्यक्तिगत एवं व्यावसायिक जीवन की विविध परिस्थियों के माध्यम से हम इन स्त्री-प्रश्नों को समझने का प्रयास करेंगे ।
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