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लक्ष्मीकांत मुकुल की युद्ध पर तीन कविताएं

लक्ष्मीकांत मुकुल की तीन कविताएं युद्ध की भाषा युद्ध की भाषा उन्मादी होती है जिसमें शामिल होती हैं विध्वंसक तत्व इमारतों को नष्ट करने खड़ी फसलों को ख़ाक में...

लक्ष्मीकांत मुकुल की बहन पर कविताएं

बहन पर दो कविताएं _ लक्ष्मीकांत मुकुल (1) नदी के रेत पर घरौंदे बनाती दिवाली में चौक लेपन करती पके अमरूद की चाह में डालियों पर झूलती सींक से सुपली...

विश्वास (कहानी)

विश्वास (कहानी) 'प्लीज मम्मी ..'.. 'कोई प्लीज- ब्लीज नहीं ! आज तो तुम्हें सबक सिखा कर ही दम लूंगी |' सारिका ने अपने इकलौते बेटे आयुष को पीटने...

हिंदी रिपोर्ताज साहित्य और कन्हैयालाल मिश्र का ‘क्षण बोले कण मुस्काए’

रिपोर्ताज साहित्य की गणना हिंदी गद्य की नव्यतम विधाओं में की जाती है. द्वितीय विश्वयुद्ध के आसपास इस विधा का जन्म हुआ. रिपोर्ताज शब्द को अपने विदेशी (फ्रेंच) रूप में ही ज्यों का त्यों हिंदी में अपना लिया गया

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रिपोर्ताज साहित्य की गणना हिंदी गद्य की नव्यतम विधाओं में की जाती है. द्वितीय विश्वयुद्ध के आसपास इस विधा का जन्म हुआ. रिपोर्ताज शब्द को अपने विदेशी (फ्रेंच) रूप में ही ज्यों का त्यों हिंदी में अपना लिया गया

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21वीं शताब्दी में सामाजिक उत्तरदायित्व के क्षेत्र में एक नई अवधारणा का विकास हुआ जिसे विश्वविद्यालय सामाजिक उत्तरदायित्व के नाम से जाना गया।
इस आलेख में फुटपाथ दुकानदार की सामाजिक-आर्थिक स्थिति के विषय मे अध्ययन करने का प्रयास किया गया है।

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