जब जब यह दुनिया ,
पितृ दिवस मनाती है।
जब जब कोई संतान ,
अपने पिता का सानिध्य पाती है ।
वो खुशनसीब है संतान ,
जिनको माता -पिता दोनों की ,
सेवा -सत्कार नसीब होता है।
जब -जब कोई पुत्री /पुत्र
अपना मनचाहा पुरस्कार लेने ,
अपनी ज़िद पूरी करवाने का सौभाग्य पाता है।
जब- जब कोई पिता अपनी संतान को
कंधों पर बैठाकर /उंगली पकड़कर ,
सैर को जाता है।
पितृ दिवस पर अपने पिता को जब कोई तोहफा और
बधाई देता है।
और बदले में अपार स्नेह ,दुलार और आशीष पाता है।
मैं क्या करूँ मुझे हर पल ,हर क्षण तुम्हारी याद आती है।
तुम्हारे स्नेह ,तुम्हारा दुलार और तुम्हारे साथ बिताई ,
जीवन के हर घड़ी की याद आती है।
मैं जानती हूँ ,मुझे एहसास है ,तुम्हारा स्नेह ,दुलार और आशीष ,
अब भी हमारे साथ है ।
तुम न होते हुए भी आज भी हमारे साथ हो ,
यह भी एहसास है।
मगर फिर भी !! हे पिता ! मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है।