बेबसी इतनी के कुछ ना कह सकूं
नाम खुद ही खुद गुप्त गूं रखूं।।
नाम में इसके अरमान है
अरमानों में छुपे लाख पैगाम है।।
जाने किस मोड़ पर छोड़ देगी यह जिंदगी
जीवन बनेगा या नहीं बंदगी।।
जिसने जकड़न में ही दी है जिंदगी
है उसी की रात दिन बंदगी।।
अब नहीं वह सुबह कि दीदार हो
पद रजो का स्पर्श मुस्तखर हों।।
अब तो रात दिन बस एक ही ललक
हम मिलेंगे जरूर बूंदे सागरों की तरह।।
मेरा मिट जाना है तेरे जीवन का उद्देश्य
यही करूण हृदय का बोझिल बेबस संदेश।।