बेईमान मौसम के खिलाफ़

मैं किसान, मजदूर हूँ ! साहब
देश की चिंता मुझे भी हैं
सुख किसे पसंद नहीं है ?
पर क्या करुं ! साहब
वतन का नमक जो खा रखा हूँ
जब तक साँसें चलेंगी
बेईमान मौसम के खिलाफ़
लड़ता रहूंगा
बस डर इसी बात की है
कल कहीं कोई नेता
भूख से न मर जाए
और इलज़ाम
हमारे सर चढ़ जाए।
©सुभाष कुमार कामत