प्रेम 

नयन बंद कर जब वो मुझसे, आँख मिचोली खेल रही |
वो इठलाती-बहलाती, मधुबाला सी डोल रही ||
वो जब-जब कोमल हाथो से, मुझको स्पर्श कर जाती है |
वो मेरे ह्रदय की धडकन को, थोडा और बढ़ाती है ||
उसके तीखे नैनो के,इशारे कातिलाना है |
वो हसती है तो जैसे गर्मी में,सूरज का छिप जाना है ||
© आशीष कुमार पाण्डेय