तुम जननी हो, तुम शक्ति हो, आश्रिता ना समझना
तुम नारी हो, तुम सबला हो, अबला ना समझना
पुरुष और नारी के भेद भाव को न पलने देना
भ्रूण के हत्यारों से अजन्मी कोख न मरने देना
मौन की तडफन को तुम तांडव में बदल देना
तुम नारी हो, तुम सबला हो, अबला ना समझना
मन की उड़ान को पिंजरे में न बंद होने देना
प्रतिभा के पंछी के पंखों को न कुतरने देना
गायन के गुंजन को तुम गर्जन में बदल देना
तुम नारी हो, तुम सबला हो, अबला ना समझना
अपने पैरों में बेबसी की बेड़ियाँ न पड़ने देना
दहेज़ रुपी दानव से जीवन को न जलने देना
दमन के सहन को तुम तीव्र तपन में बदल देना
तुम नारी हो, तुम सबला हो, अबला ना समझना
मानवीय रिश्तों को कभी कलंकित न होने देना
वहशी दरिंदों से किसी की अस्मत न लुटने देना
दया की देवी को तुम साक्षात् दुर्गा में बदल देना
तुम नारी हो, तुम सबला हो, अबला ना समझना
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