डिजिटल दुनिया और युवा पीढ़ी
*दिव्या शर्मा
सोशल मीडिया मुख्यतया किसी कंप्यूटर या संचार के आपले से जुड़ा है। अनेकों प्रकार की वेबसाइट और एप्स हमें लोगों से जोड़ते हैं सोशल मीडिया की मदद से ही आज कोई भी प्रतिभाशाली व्यक्ति अपनी प्रतिभा को प्रस्तुत करके लोकप्रियता प्राप्त कर सकता है। ” सोशल मीडिया आपको विचारों सामग्री सूचना और समाचार इत्यादि को बहुत तेजी से एक दूसरे को साझा करने में सक्षम बनाता है। पिछले कुछ वर्षों से सोशल मीडिया के उपयोग में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हुई है तथा इस ने दुनिया भर के लाखों उपयोगकर्ताओं को एक साथ जोड़ लिया है। ” 1 सोशल मीडिया में प्रयोग तरीके ताजगी पन स्थायित्व आदि का प्रयोग हुआ है। नेलसन कहते हैं – ” इंटरनेट प्रयोक्ता अन्य साइट्स की अपेक्षा सामाजिक मीडिया साइट्स पर ज्यादा समय व्यतीत करते है । दुनिया में दो तरह की सिविलाइजेशन का दौर शुरू हो चुका है, वर्चुअल और फिजिकल सिविलाइजेशन । आने वाले समय में जल्द ही दुनिया की आबादी से दो तीन गुना अधिक आबादी अंतरजाल पर होगी। दरअसल अंतरजाल एक ऐसी टेक्नोलॉजी के रूप में हमारे सामने आया है जो उपयोग के लिए सबको उपलब्ध है और सर्वहिताय हैं। सोशल नेटवर्किंग साइट्स संचार व सूचना का सशक्त जरिया है, जिनके माध्यम से लोग अपनी बात बिना किसी रोक-टोक के रख पाते हैं। यहीं से सामाजिक मीडिया का स्वरूप विकसित हुआ है ।” 2
सतयुग,द्वापरयुग , त्रेता युग एवं कलयुग के दौर में आज के युग को यदि हम डिजिटल युग कहें तो कोई अतिशयोक्ति न होगी। डिजिटल युग ने आम मनुष्य के जीवन में इतनी बड़ी क्रांति लाकर खड़ी कर दी है कि मानव जो ईश्वर की सबसे सुंदर रचना है, वह अपना अस्तित्व ही भूलता जा रहा है। समय के साथ धार्मिक, सामाजिक, वैश्विक, पारिवारिक एवं सांस्कृतिक मूल्य की आयाम एवं उनकी रूप रेखाएं बदलती जा रही हैं। आजादी 1947 में हमें अंग्रेजों से मिली किंतु उस आजादी को आज की पीढ़ी ने नए मूल्यों में दर्शाया है। आजादी चाहे बोलने की हो, परिवार की हो, समाज की हो। और यह प्रतिभा बढ़ चढ़कर हमें दिखाई दे रही है सोशल मीडिया पर। फिर चाहे वह टि्वटर हो फेसबुक हो या अन्य मैसेंजर एप्स हो। एक गणना यंत्र का निर्माण चार्ल्स बैबेज ने सन १८२२ में किया था जिसका उद्देश्य मनुष्य के समय की बचत करना होगा। कुछ जानकारियों को एकत्र करना होगा। संगणक के बाद धीरे-धीरे नेटवर्क बढ़ता गया और संपूर्ण देश में एक क्रांति छा गई। ” सबसे पहला संगणक १८२२ में एक गणितज्ञ चार्ल्स बैबेज ने बनाया था। उन्होंने एक गणना करने वाली मशीन बनाई जिसे डिफरेंस मशीन कहा जाता था। पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर जिसने वर्तमान संगणक को आकार दिया वह ENIAC था ।यह १६४५ और १६४६ के बीच ‘ जॉन विलियम और जॉन एकटे ‘ द्वारा बनाया गया था। —— हिंदुस्तान में जो सबसे पहला संगणक बना उसका नाम ‘सिद्धार्थ’ है। इंटरनेट कंप्यूटर का सबसे बड़ा नेटवर्क है। इंटरनेट से अब तक 17 अरब डिवाइस जुड़ चुके हैं। ” 3 कंप्यूटर से जुड़ी चीजों को जमा करने के लिए तरह-तरह के डिवाइस, फ्लॉपी, सीडी, डीवीडी एवं पेन ड्राइव आदि का इस्तेमाल किया जाता है। प्रश्न उठता है मन में कि यह मशीन मनुष्य की मदद के लिए बनाई गई थी। इंटरनेट का उपयोग भी मनुष्य के लिए उपयोगी ही रहा है परंतु मनुष्य न जाने कब इंटरनेट के जाल में स्वयं ही फंस गया। क्या हम इस जाल से कभी मुक्त हो पाएंगे? यह एक चिंता का विषय है और उत्तर अभी हम शायद ना दे सके। किंतु यह बात वर्ल्ड विचारणीय है कि ‘ अति सर्वत्र वर्जनीय ‘ की उक्ति चरितार्थ है। सोशल मीडिया जैसे ब्लॉग्स, फेसबुक, इंस्टाग्राम , ट्विटर या अन्य मैसेंजर एप्स और समय बिताने वाले लोग सामान्य जीवन में काफी नीरस एवं अंतर्मुखी हो जाते हैं। यह एक करिश्माई योग भी है पलक झपकते ही हम विश्व के किसी भी कोने के व्यक्ति से जुड़ सकते हैं। वहां की जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं। सोशल मीडिया का ही प्रभाव है कि बाह्य जिंदगी में 1000 लोगों से जुड़े व्यक्ति अक्सर अकेला बैठा पाया जाता है। बर्लिन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लूस ब्रिंग ने अपने एक महत्वपूर्ण शोध में कहा है, ” समाज पर इंटरनेट की सूचना तंत्र का प्रभाव हर क्षण बढ़ता जा रहा है तथा इसके अच्छे तथा बुरे दोनों तरह के नतीजे दुनिया को चौकानेवाले नजर आ रहे हैं। इंटरनेट ने लोगों को अलग-थलग करना भी शुरू कर दिया है क्योंकि जो लोग इंटरनेट पर ज्यादा समय गुजारते हैं वह लोगों से रूबरू होने पर अपना समय तथा व्यक्तित्व धीरे-धीरे इंटरनेट में ही खोने लगते हैं।” 4 सोशल मीडिया पर अधिक वक्त गुजारने पर मनुष्य का धीमे-धीमे खत्म हो रहा है। जिन प्राकृतिक नजारों की फोटो को हम सोशल मीडिया पर पसंद करते हैं उन दृश्यों को अपने आसपास बनाने का हम 1% भी योगदान नहीं देते है। युवा पीढ़ी- सोशल मीडिया पर अपना समय सबसे ज्यादा बिताती है। यह एक नशे की तरह है। एक 2 वर्ष के बच्चे के हाथ में माता पिता अपना मोबाइल या टैब जब पकडाते हैं तब शायद यह वे लोग सोचते तक नहीं होंगे कि वे अपने बच्चे को ऐसा नशा दे रहे हैं जो उसके भविष्य को खतरे में डाल रहा है। सोशल मीडिया की वजह से बहुत से लोगों का टैलेंट उभर कर आता है। लोगों को अपनी प्रतिभा को दर्शाने के लिए एक ऐसा मंच प्राप्त हुआ है जो वह स्वयं चुनता है। प्रसिद्धि मुकाम को हासिल कर सकता है। ” इस वर्चुअल दुनिया की अफीम की तरह लत लगने के आसार भी दिखाई दे रहे हैं। यहां इस पीढ़ी को शारीरिक तौर पर कोई खतरा नहीं होता और नए होने की कोई संभावना भी है लेकिन मानसिक तौर पर विकलांग पर अब दिखाई दे रहा है। इससे निजात पाने का उपाय वर्चुअल दुनिया में मिलने के आसार भी कम होते हैं। इसलिए मानसिक आघात प्रत्याघाट से उभरने की उनकी क्षमता पर भी प्रश्नचिन्ह उपस्थित हो जाता है। ” 5 हमारे देश का भविष्य हमारी आने वाली पीढ़ी है। हम सब जानते हैं कि हमारी नई पीढ़ी अपने भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए किस प्रकार की प्रयत्न कर रही है। आज हर बच्चे और युवा के हाथ में महंगी फोन उपलब्ध है। 2020 की कोरोना एक महामारी ने एक बहुत बड़ी क्रांति क्षेत्र में लाकर खड़ी कर दी। शिक्षण जगत को भी क्षेत्र से जोड़ दिया। जिन परिवारों की स्थिति सामान्य से भी कमजोर थी उन माता-पिता के द्वारा भी बच्चों के लिए स्मार्टफोन खरीदा या दिलाया गया है। बच्चे कुछ घंटों की पढ़ाई के बाद फोन को रखने की बजाय इस डिजिटल दुनिया में उड़ने लगे हैं। जिन्होंने अभी उड़ान सीखी है उन्हें डिजिटल दुनिया का आकाश अपनी और आकर्षित कर रहा है। भी अपने लक्ष्य से भटक रहे हैं। धीमे धीमे अध्ययन जो एक महत्वपूर्ण पहलू है एक बड़ा विद्यार्थी वर्ग उससे दूर हो रहा है। हमारी शैक्षणिक व्यवस्था से कमजोर हो सकती है। शिक्षा के क्षेत्र में पीछे हैं और सीधा सा अर्थ निकलता है कि देश का भविष्य सुरक्षित नहीं है। बच्चों की चीज को पाने की तलाश उन्हें निराश ना कर दे। उसे निराशा के बादल में स्वयं को अकेला न पाए इसका ध्यान माता पिता एवं परिवार को संपूर्ण रूप से रखना चाहिए। सोशल मीडिया के सकारात्मक पहलुओं के साथ-साथ इसके नकारात्मक पक्ष की भी हम चर्चा करेंगे। जिसे हम साइबर क्राइम कहते है। यह एक कंप्यूटर और नेटवर्क से जुड़ा अपराध है। कंप्यूटर की मदद से किया गया कोई भी गैरकानूनी गलत कार्य कंप्यूटर अपराध कहलाता है। साइबर अपराध के तहत किसी की निजी जानकारी को प्राप्त करके उसका गलत उपयोग करना साइबर क्राइम है। किसी की महत्वपूर्ण जानकारियों को चुरा लेना, उन्हें नष्ट करना, किसी तरह का फेरबदल करना, जानकारी को किसी के साथ साझा करना उन का गलत इस्तेमाल करना अपराध है। इसी तरह कंप्यूटर अपराध में किसी की गतिविधियों पर नजर रखना, हैकिंग , फिशिंग एवं वायरस का हमला करना होता है। साइबर क्राइम का जन्म कहीं से भी हुआ हो, परंतु इसका अंत किसी के पास नहीं है। आज युवा पीढ़ी इस बीमारी से ग्रसित हैं। स्वभाव में अहम का आना, स्वयं को श्रेष्ठ समझना, वाचिक स्वतंत्रता व्यक्ति को स्वच्छंद बना रही है। आज मीडिया एवं सरकार के सूत्र में साइबर आतंकवाद की वजह से होने वाला नुकसान गहरी चिंता का विषय बना है।” अपनी अवधारणाओं से परिवार, समाज और अंत में राष्ट्र का हित होना चाहिए इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती। लेकिन दुर्भाग्य से ऐसा नहीं होता। समाज विघातक कृत्य, समाज में विभाजन करने वाली आतंकवादी अपने मंसूबों को अंजाम देते हैं, रेव पार्टियों का आयोजन किया जाता है। इसलिए साइबर क्राइम अब तेजी से बढ़ रहा है।” 6 आज भी कंप्यूटर पर नई नई खोज अविष्कार रुके नहीं है। युवा वर्ग, वैज्ञानिक नई नई खोजो से मनुष्य को सर्वश्रेष्ठ बनाने का जहां भरसक प्रयत्न कर रहे हैं वही एक वर्ग धोखा – अपना लिंग परिवर्तन करके मनोरंजन करना, सेक्स के लिए खोली दुकान बन रहे हैं। “लड़कियां लड़कों के नाम से एवं लड़के लड़कियों के नाम से फेक अकाउंट खोलते हैं। इन फेक अकाउंट के माध्यम से धोखाधड़ी और बदनामी बढ़ रही है। नेट अब सेक्स की नुमाइश और ओपन शॉप बन गई है। इससे ही अनेक सामाजिक समस्याओं का निर्माण हो रहा है और गुनाहों को खाद पानी भी मिल रहा है। यहां तक कि जिसने नेट को जन्म दिया उनके हाथ में भी अब यह बात नहीं रही है और हम सब नेटीजंस के हाथों से इसके सूत्र कब से फिसल गए हैं इसका हमको पता भी नहीं चला। ” 7 सुबह उठकर प्रभु के दर्शन के स्थान पर आज की युवा पीढ़ी प्रथम दर्शन सोशल मीडिया का करना चाहती है। दिन भर में कितने लाइक्स मिले इसकी प्रतिस्पर्धा बड़ी ही जोर शोर से फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि सोशल मीडिया पर हर दिन चलती रहती है। कुछ समय पूर्व एक और चलन मीडिया पर आया था जिसमे लाइक्स कम मिलने पर बच्चों ने आत्म सम्मान पर इस बात को ले लिया एवं आत्म हत्या जैसा कदम वो उठाने लगे थे। एक लेखक के अनुसार,” जिज्ञासा और अभिव्यक्ति मनुष्य की जन्मजात प्रवृत्तियां है। इसलिए मनुष्य कोई भी नई बात जानने पर उसे दूसरों तक पहुंचाने के लिए सदैव अधीर रहता है। आजकल लोगों को सुबह उठते ही दो चीजों का ध्यान आता है सोशल साइट्स और चाय। अक्षय दिन की शुरुआत सोशल साइट्स को छूने से होती है। बहुत सारे माध्यम होने के बाद भी सोशल साइट का महत्व बढ़ना आश्चर्यजनक ही है। सोशल साइट्स खबर प्राप्त करने का सर्वोत्तम साधन है। इसे कहीं भी और कभी भी प्रयोग में लाया जा सकता है, इसलिए इसका महत्व कभी भी कम नहीं हो सकता। ” 8
तो हम कह सकते हैं कि अगर समय रहते हुए नई पीढ़ी को नहीं संभाला गया तो हम विनाश की लहरों में डूब ना जाए। देश को बाहरी परिजनों से जितना सुरक्षित रखना है उतना ही देश को आंतरिक रूप से मजबूत बनाना होगा। युवा वर्ग को इस अंतरजाल से मुक्त होना पड़ेगा। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि वह एक साधन है,यंत्र है। जितना सोशल मीडिया और साइबर क्राइम से बच्चों, युवाओं को दूर रखा जाए उतना ही देश मजबूत होगा। फोन का उपयोग मुफ्त के इंटरनेट ने बढ़ा दिया है। परंतु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि मुफ्त में मिली वस्तुएं हमें नशा करा देती हैं और एक बार लत लगने पर उससे दूर होना बहुत मुश्किल है। अंतिम उल्लेख देना चाहूंगी शिक्षा विधिज्ञ शकील इंजीनियर अपनी पुस्तक मी एंड इंटरनेट वर्ल्ड में लिखते हैं कि, ” सोशल साइट्स या इंटरनेट यह एक गंदी नाली की तरह है हम अपनी सोच के अनुसार इस गंदी नाली से मनचाही हीरे चुने और गंदी वस्तुओं को छोड़ दें।” 9
हम अपनी सोच बदलें ताकि देश बदल सके। सोशल मीडिया युवाओं के लिए महत्वपूर्ण परिबल हो सकता है जरूरत है उसके महत्व को समझने की। इसके दोनों पहलुओं से बच्चों को, युवाओं को अवगत कराने की। हमें उन्हें समझाना होगा कि किस प्रकार से वे इसका सदुपयोग अपने समाज के, देश के विकास के लिए करे।
संदर्भ सूची –
- www.hindikiduniya.com
- रवींद्र प्रभात – जनसंदेश टाइम्स, 5 जनवरी 2014 , पृष्ठ संख्या – 1 ( पत्रिका – ए टू जेड लाइव) शीर्षक : आम आदमी की नई ताकत बना सोशल मीडिया,
- डॉ. विजय महादेव गाड़े – सोशल मीडिया – समसामयिक परिपेक्ष्य में , पृष्ठ संख्या – भूमिका से
- डॉ. कृष्ण कुमार रत्तू – नया मीडिया संसार – मीडिया क्रांति के नए संदर्भ – पृष्ठ संख्या – 118
- डॉ. विजय महादेव गाड़े – सोशल मीडिया – समसामयिक परिपेक्ष्य में , पृष्ठ संख्या – 21
- डॉ. विजय महादेव गाड़े – सोशल मीडिया – समसामयिक परिपेक्ष्य में , पृष्ठ संख्या – 22
- डॉ. विजय महादेव गाड़े – सोशल मीडिया – समसामयिक परिपेक्ष्य में , पृष्ठ संख्या – 22
- धीरज कुमार – बेनिफिट ऑफ सोशल साइट्स – पृष्ठ संख्या – 78
- दैनिक सकाल – 03/ 08/2016
शोधार्थी
विषय – हिंदी
हेमचंद्राचार्य उत्तर गुजरात यूनिवर्सिटी
पाटण ( गुजरात)